Book Title: Balak ke Jivvichar Author(s): Prashamrativijay Publisher: Pravachan Prakashan Puna View full book textPage 7
________________ boy.pm5 2nd proof ५. बारह भेद हम जीवों के दो भेद पर विचार करेंगे । १. स्थावर २. उस/स्थावर, जीवों के पाँच भेद हैं। १. पृथ्वीकाय २. अप्काय ३. तेउकाय ४. वायुकाय ५. वनस्पतिकाय + जो एकेन्द्रिय जीव पृथ्वी के शरीर में रहकर जीते हैं, वे पृथ्वीकाय के जीव है। + जो एकेन्द्रिय जीव पानी के शरीर में रहकर जीते है, वे अपकाय के जीव + + जो एकेन्द्रिय जीव आग के शरीर में रहकर जीते है वे तेउकाय के जीव है। जो एकेन्द्रिय जीव पवन के शरीर में रहकर जीते है वे वायुकाय के जीव है। ६. आयुष्य जीवों का जन्म होता है, जीवों की मृत्यु होती है। बारह भेद में सभी जीवों का जन्म होता है और मृत्यु होती है। बारह जीव अलग जरुर है परन्तु जन्म और मरण की प्रक्रिया सभी को समान रुप से असर करती है । जन्म होने के बाद जितने वर्षकी जिन्दगी हो उसे आयुष्य कहते हैं । बारह प्रकार के जीवों का आयुष्य अलग-अलग है। बारह भेद के जीव सबसे ज्यादा कितने वर्ष तक जीते हैं - उस आयुष्य का बोध जीवविचार में मिलता है। जीवों का नाम आयुष्य । जीवों का नाम आयुष्य पृथ्वीकाय २२,००० वर्ष तेइन्द्रिय ४९ दिन अप्काय ७,००० वर्ष चउरिन्द्रिय ६ मास तेउकाय ३ अहोरात्री मनुष्य ३ पल्योपम वायुकाय ३,००० वर्ष ३३ सागरोपम वनस्पतिकाय (प्रत्येक)१०,००० वर्ष तिर्यंच ३ पल्योपम बेइन्द्रिय १२ वर्ष । नरक ३३ सागरोपम याद राखो :+ जिस संख्या को अङ्को में नही गिन सकते, उसको पल्योपम नाम की विशेष संख्या से गिनते हैं । जिस संख्या को पल्योपम से नहीं गिन सकते, उसको सागरोपम नाम की संख्या से गिनते हैं। पल्योपम और सागरोपम नाम की संख्या से गिनना पड़े उतना लम्बा आयुष्य केवल पंचेन्द्रिय जीवों का ही होता है । एकेन्द्रिय और विकलेन्द्रिय के आयुष्य को संख्या से (हमने गणित में सीखा है उसी तरह) गिना जाता है । + जो एकेन्द्रिय जीव वनस्पति के शरीर में रहकर जीते हैं, वे वनस्पतिकाय के जीव है। हमने आगे समझ लिया कि इन स्थावर जीवों को केवल एक ही इन्द्रिय होती है। स्पर्शनेन्द्रिय । त्रस जीवों में बेइन्द्रिय, तेइन्द्रिय, चउरिन्द्रिय और पंचेन्द्रिय जीवों का समावेश होता है । इन चारों में पंचेन्द्रिय जीवों के चार भेद है । १. मनुष्यगति के पंचेन्द्रिय जीव २. देवगति के पंचेन्द्रिय जीव ३. तिर्यंचगति गति के पंचेन्द्रिय जीव ४. नरकगति के पंचेन्द्रिय जीव इस प्रकार कुल मिलकर स्थावर जीवों के पाँच भेद हुए त्रस में विकलेन्द्रिय के तीन भेद हुए ३ त्रस में पंचेन्द्रिय के चार भेद हुए ४ कुल मिलाकर ५+३+५ = १२ भेद हुए। जीवविचार की सारी बातें इन बारह भेद के आधार पर है। ये बारह भेद बराबर याद रखने चाहिये । देव बालक के जीवविचार . ७ ८. बालक के जीवविचारPage Navigation
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