Book Title: Balak ke Jivvichar
Author(s): Prashamrativijay
Publisher: Pravachan Prakashan Puna

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Page 21
________________ boy.pm5 2nd proof २४. सूक्ष्म - बादर एकेन्द्रिय जीव स्थावर होने से हलन-चलन नहीं कर सकते । एक ही इन्द्रिय होने के कारण वे बोल नहीं सकते ।। पृथ्वीकाय, अप्काय, तेउकाय, वायुकाय वनस्पतिकाय इन पाँचों की समान विशेषता हमने समझ ली है। अब एक विशेषता समझने की बाकी है। उसके दो भेद है। १. सूक्ष्म एकेन्द्रिय, २. बादर एकेन्द्रिय हम जिसको अपनी आँखों से देख सके ऐसे एकेन्द्रिय जीवों को बादर एकेन्द्रिय कहते हैं। परन्तु एकेन्द्रिय जीव सूक्ष्म भी होते हैं । सूक्ष्म होने से हम उसको अपनी आँखों से देख नहीं सकते । सूक्ष्म होने से हम उनकी विराधना नहीं कर सकते । ये सूक्ष्म एकेन्द्रिय जीव विश्वभर में फैले हुए हैं। सूक्ष्म एकेन्द्रिय जीवों का आयुष्य लम्बा नहीं होता । सूक्ष्म एकेन्द्रिय जीवों की करुणता यही है कि ये जीव बार-बार जिस गति में होते हैं उसी ही गति में जन्म लेते हैं। पृथ्वीकाय सूक्ष्म भी होते हैं, बादर भी होते हैं । अप्काय सूक्ष्म भी होते हैं, बादर भी होते हैं । तेउकाय सूक्ष्म भी होते हैं, बादर भी होते हैं । वायुकाय सूक्ष्म भी होते हैं, बादर भी होते हैं । साधारण वनस्पतिकाय सूक्ष्म भी होते हैं, बादर भी होते हैं । प्रत्येक वनस्पतिकाय बादर होते हैं, सूक्ष्म नहीं होते । पंचेन्द्रिय बादर होते है, सूक्ष्म नहीं होते । सूक्ष्म जीवों की असर हमको नहीं होती और हमारी असर सूक्ष्म जीवों को नहीं होती। बादर जीवों की असर हमको होती है और हमारी असर बादर जीवों को होती है। २८. जो जन्म लेता है वह जीव जीव चारों गति में जन्म लेते हैं, परन्तु चारों गति में जन्म लेने की प्रक्रिया एकसमान नहीं होती । मनुष्य और तिर्यंच गति में तो जन्म लेने की प्रक्रिया बिलकुल अलग है । इसलिए जन्म लेने की तीन अवस्था हमको भगवान ने बताई है। १. गर्भज, २. संमूर्छन, ३. उपपात १. गर्भज - मनुष्य और तिर्यंच, इन अवस्था से जन्म लेते हैं। २. संमूर्छन - मनुष्य और तिर्यंच, इन अवस्था से भी जन्म लेते हैं । ३. उपपात - देव और नारकी इन अवस्था से जन्म लेते हैं। १. गर्भज जन्म : माता की कुक्षि में कुछ समय रहकर बाद में जन्म लेना वह गर्भज अवस्था का जन्म कहलाता है। गर्भज अवस्था का जन्म भी तीन प्रकार से होता है। १. अंडज, २. जरायुज, ३. पोतज १. अंडज : माता की कुक्षि में अण्डा बनता है। माता अण्डा रखती है। अण्डे से बच्चे होते है। यह गर्भज अवस्था का अण्डज रूप से जन्म होता है । सभी पक्षियों का जन्म इसी प्रकार होता है । २. जरायुज : माता की कुक्षि में हो तब जीव के शरीर के उपर ओर नामक बारिक और कुदरती आवरण होता है । जब जन्म होता है तब आवरण निकल जाता है। यह गर्भज अवस्था का जरायुज रूप से जन्म है। मनुष्य का जन्म इसी तरह होता है। गाय, बकरी जैसे पश इसी तरह जन्म लेते है। ३. पोतज : जब जन्म होता है तब बच्चे के रूप में ही जन्म लेना । हाथी जैसे पशुओं के बच्चों का जब जन्म होता है तब बच्चे के रूप में ही पैदा होते हैं । उनके शरीर पर कोई आवरण नहीं होता । यह गर्भज अवस्था का पोतज प्रकार का जन्म है। २. संमर्छन जन्म : माता की कुक्षि में आये बिना ही अपने आप जिसका जन्म होता है, वह संमूर्छन कहलाते हैं । इसको संमूर्छिम नाम से पहचाना जाता है । विशेष वातावरण में, जहाँ ज्यादा गिलापन रहता है वहाँ और अशुचि में बालक के जीवविचार • ३५ ३६ • बालक के जीवविचार

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