Book Title: Balak ke Jivvichar
Author(s): Prashamrativijay
Publisher: Pravachan Prakashan Puna

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Page 38
________________ boy.pm5 2nd proof ३६. १४ नारकी जीव... मेरुपर्वत के नीचे, जमीन के भीतर में नीचे-नीचे क्रम से सात नरक है। सात नरक के नाम.... १. रत्नप्रभा, २. शर्कराप्रभा, ३. वालुकाप्रभा, ४. पंकप्रभा, ५. धूम प्रभा, ६. तमःप्रभा, ७. तमस्तमःप्रभा । इन सात नरक को दूसरे नामों से भी पहचाना जाता है । १. घम्मा २. वंशा ३. शेला ४. अञ्जना ५. रिष्टा ६. मघा ७. माघवती इन सात नरक में रहे हुए जीवों को नारकी जीव कहलाते हैं । सात नरक के हिसाब से नारकी जीवों के सात भेद है । सात नारकी जीव पर्याप्ता । सात नारकी जीव अपर्याप्ता । कुल चौदह [१४] नारकी जीव होते हैं । याद रखो : नारकी जीव करण अपर्याप्ता होते हैं, लब्धि अपर्याप्ता नहीं होते । नारकी जीव पर्याप्ति पूर्ण न करे वहाँ तक अपर्याप्त कहलाते हैं । नारकी जीव पर्याप्ति पूर्ण करे तब से पर्याप्त कहलाते हैं । सात नरक चित्र में इस प्रकार समझ सकते हैं । ३७. पाँच द्वार... एएसि जीवाणं, सरीरमाऊ-ठिई सकायम्मि । पाणाजोणि-पमाणं जेसि, जं अत्थि तं भणिमो ॥ जीवविचार गाथा २६ इन जीवों का पाँच तरीके से विचार करना है । (१) शरीर = अवगाहना (२) आयुष्य (३) स्वकायस्थिति (४) प्राण (५) योनि १. शरीर = अवगाहना जीव जन्म लेता है तो शरीर को प्राप्त करता है। शरीर है तो वह जी सकता है । संसारी जीव जन्म लेते है। संसारी जीव शरीर को प्राप्त करता है। प्रश्न यह है कि क्या सभी जीवों के शरीर एक समान है ? इसका उत्तर यह है कि सभी जीवों के शरीर एक समान नहीं होते । सभी जीवों के शरीर अलग-अलग होते हैं। किसी जीव के शरीर छोटे होते है तो किसी के बड़े। किसी के सूक्ष्म होते है तो किसी के विशाल | शरीर की लम्बाई, चौडाई और मोटाई, इसके आधार से जीवों के शरीर का क्या प्रमाण है वो समझा जाता है। जीव के शरीर के प्रमाण को अवगाहना कहते है । ५६३ भेद के जीवों के स्थूल गिनती से १२ भेद गिने तो बार भेद की अवगाहना अलग-अलग होती रत्न प्रभा शर्करा प्रभा वालुका प्रभा पंक प्रभा धूम प्रभा २. आयुष्य : जन्म लेने के बाद कितने वर्ष जीना है वह आयुष्य द्वारा निश्चित होता है। १०० साल तक जिन्दा रहता है उसका आयुष्य १०० साल का कहलाता है । आयुष्य दो प्रकार के होते हैं । (१) सोपक्रम (२) निरुपक्रम सोपक्रम :- जितने वर्ष का आयुष्य हो, उतने साल तक जीने के बदले अकस्मात, रोग या आघात के कारण आयुष्य जल्दी पूरा हो जाए तो वह सोपक्रम तमः प्रभा तमस्तमः प्रभा बालक के जीवविचार • ६९ ७० • बालक के जीवविचार

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