Book Title: Balak ke Jivvichar
Author(s): Prashamrativijay
Publisher: Pravachan Prakashan Puna

View full book text
Previous | Next

Page 5
________________ boy.pm5 2nd proof ३. दो शक्ति जीव की शक्ति तो बहुत है । इसकी कल्पना हो ही नहीं सकती। इसीलिए भगवान कहते हैं कि जीवकी शक्ति अनंत है । इन अनंत शक्ति में से दो शक्ति विशेष महत्त्व की है। (१) जीवन शक्ति (२) अनुभव शक्ति जन्म लेने के बाद हम बहुत वर्ष तक जीते हैं। हमारा श्वास चलता है। हमारा हृदय धडकता है। हमारे शरीर में लहू का परिभ्रमण होता है । यह हमारे जीवनकी शक्ति है । जो जीव नहीं है उसमें यह शक्ति नहीं है। + मकान की दीवारों में, स्कूल की बेंच में, घर के टेबल कुर्सी में जीने की शक्ति नहीं है। कागज, पेन, किताब में जीने की शक्ति नहीं है। कम्पास में, दफ्तर में, डिब्बे में जीने की शक्ति नहीं है । थाली, कटोरी, ग्लास, बर्तन विगेरे में जीने की शक्ति नहीं है। और भी कई वस्तुओं में जीने की शक्ति नहीं है। जिसमें जीने की शक्ति नहीं है उसे जड़ कहते हैं। + जीव बहुत काल तक जी सकता है । जड लम्बे समय तक टिकता है। जीव की मृत्यु होती है । जड़ का विनाश होता है । + यह तो जीने की शक्ति की बात हुई । अनुभव करने की शक्ति अलग (१) स्पर्श (२) रस (३) गन्ध (४) रुप (५) शब्द इन पाँचो का अनुभव जीव को होता है । जीव को अपने शरीर द्वारा इन पाँचो का अनुभव होता है। शरीर के अलग-अलग स्थान से इसका अनुभव होता है । इन पाँच स्थान को पाँच इन्द्रिय कहते हैं। (१) जिससे स्पर्श का अनुभव हो वह स्पर्शनेन्द्रिय । चमडी को स्पर्शनेन्द्रिय कहते हैं। (२) जिससे रस का अनुभव हो वह रसनेन्द्रिय। जीभ को रसनेन्द्रिय कहते हैं। (३) जिससे गन्ध का अनुभव हो वह घ्राणेन्द्रिय । नाक को घ्राणेन्द्रिय कहते हैं। (४) जिससे रुप का अनुभव हो वह चक्षुरिन्द्रिय । आँख को चक्षुरिन्द्रिय कहते हैं। (५) जिससे शब्द का अनुभव हो वह श्रोत्रेन्द्रिय । कान को श्रोत्रेन्द्रिय कहते हैं। इन्द्रिय द्वारा अनुभव करने की शक्ति जीव में ही होती है । अगर जीव न हो तो शरीर इन्द्रिय से अनुभव नहीं कर सकता ।। + गरम चाय या गरम दूध या गरम कॉफी के पास स्पर्श करके अनुभव पाने की शक्ति नहीं होती, क्योंकि वह जीव नहीं है। + श्रीखण्ड, दूधपाक या मोहनथाल में स्वाद करके अनुभव करने की शक्ति नहीं होती, क्योंकि वह जीव नहीं है। + पावडर, साबुन, सुगन्धी तेल में सुवास लेकर अनुभव करने की शक्ति नहीं है, क्योंकि वह जीव नहीं है। स्टीकर्स, खिलौने, तस्वीर, कैमेरा में आँखों से देखकर अनुभव करने की शक्ति नहीं है क्योंकि वह जीव नहीं है। केसेट, माइक, म्युझिक सिस्टम में सुनकर अनुभव करने की शक्ति नहीं है, क्योंकि वह जीव नहीं है। हम जीव है। हमारी जिन्दगी चलेगी तब तक हमें जीना है। हमारे शरीर की इन्द्रिय द्वारा हम अनुभव करेंगे। ___हमारी जीने की शक्ति और अनुभव करने की शक्ति हमको अच्छी लगती है। दूसरों को भी अपनी जीने की और अनुभव करने की शक्ति अच्छी लगती हम जब पानी को छूते हैं तब वह पानी हमें गरम लगता है या ठण्डा लगता है यह छूने का, स्पर्श करने का अनुभव है। हम खाने के लिए बैठते हैं तो मिठाई अच्छी लगती है और करेले की सब्जी अच्छी नहीं लगती, यह भी अनुभव है, स्वाद का अनुभव । + हमको फूल की सुगन्ध अच्छी लगती है। गटर की वास अच्छी नहीं लगती, यह भी अनुभव है, सूंघने का अनुभव । हम सबको देख सकते हैं । यह भी अनुभव है, द्रष्टि का अनुभव । हमको संगीत पसन्द है, मशीन का आवाज नहीं सुहाता । यह सुनने का अनुभव है। यह पाँच अलग-अलग अनुभव है । इसलिए इनके पाँच अलग-अलग नाम है। बालक के जीवविचार , ३ ४ . बालक के जीवविचार

Loading...

Page Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48