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बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - १ १५ साल तक पाटणमें तंबोलीवाड़ा जैन पाठशाला के उपाश्रयमें स्थिरता की थी। तब वे प्रतिदिन पाटण के सुप्रसिद्ध जोगीवाड़े में स्थित श्री शामळाजी पार्श्वनाथ भगवंत के दर्शन हेतु जाते थे । जोगीवाड़ेमें हाल कई सालों से जैन श्रावकों के घर नहीं हैं । वहाँ मुख्य रूपसे पटेल एवं मोदी जाति के लोगों के अधिक घर हैं । इस साध्वीजी भगवंत ने इन जैनेतर लोगों को धर्मप्रेरणा दे कर श्री शामळाजी पार्श्वनाथ भगवंत के प्रतिदिन दर्शन एवं पूजन में जोड़ दिया है । उनमें से गोविंदजीभाई मोदी, बंसीभाई मोदी एवं उनका ११ सालकी उम्र का सुपुत्र श्रीकांत आदिका परिचय हमको दि. ११-१-९७ में पाटणमें ही हुआ । उनकी सरलता एवं सुदेव - सुगुरु सुधर्म के प्रति श्रद्धा एवं समर्पण भावको देखकर हमें बहुत खुशी हुई।
उसी तरह उपरोक्त साध्वीजी भगवंत की प्रेरणा से जैनधर्म की विशिष्ट रूपसे आराधना करनेवाले एवं नवकार महामंत्र के प्रति अनन्य श्रद्धाके साथ जप करनेवाले रसिकभाई मोची (उ. व. ४४) के घर जाने का भी अवसर आया । पाटण की झवेरी बाजार में वंदना फूटवेर्स के नाम से जूतों की दुकान के मालिक एवं दुकान के उपर ही घरमें निवास करनेवाले रसिकभाई विठ्ठलदास जनसारी (मोची) के घरमें प्रवेश करते ही ऐसा लगा, मानो किसी सुश्रावक के घरमें ही प्रवेश किया हो । छोटे से घरकी दीवारके ऊपर श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवंत आदि जिनेश्वर भगवंत एवं उपकारी साध्वीजी भगवंत की तस्वीरें दृष्टिगोचर होती हैं ।
____ रसिकभाई की धर्मपत्नी ऊर्मिलाबहन एक उत्तम श्राविका की तरह प्रतिदिन भावसे सुपात्रदान का लाभ लेती हैं, वे प्रत्येक महिनेमें एकबार पाटणसे ९ कि.मी. दूर चाय तीर्थ की यात्रा एवं वहाँके मूलनायक श्री शामलियाजी पार्श्वनाथ भगवंत की पूजा अचूक करती हैं। आर्ट्स कोलेज में पढती हुई सुपुत्री प्रवीणाने पर्युषणमें अट्ठाई तप भी किया है । १२ वीं एवं १० वीं कक्षा में पढते हुए दो पुत्र वंदन एवं हर्षद सहित परिवार के पाँचों सदस्य प्रतिदिन जिनपूजा अवश्य करते हैं । (आज ऐसे कितने जैन परिवार मिलेंगे कि जिनके घरके सभी सदस्य जिनपूजा प्रतिदिन करते हों !)
बहुरत्ना वसुंधरा -- १-3