Book Title: Bahuratna Vasundhara
Author(s): Mahodaysagarsuri
Publisher: Kastur Prakashan Trust

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Page 470
________________ ३९३ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - २ (१८) दो बार वर्षीतप किया (१९) पिछले ३७ साल में एकांतरित उपवास से कम तप नहीं है, अर्थात् कभी २ दिन लगातार आहार नहीं लिया ! आज भी उनके एकांतरित उपवास चालु हैं ! धन्य हैं ऐसी तपस्वी आत्माओं को । श्री जिनशासन ऐसी तपस्वी आत्माओं के कारण गौरवान्वित है । हम ऐसे तपस्वी आराधकों के जीवनमें से कुछ प्रेरणा पाकर आहार संज्ञा के ऊपर काबू पाकर, देहाध्यास से मुक्त होकर, अणाहारी मोक्षपद प्राप्त करने के लिए कटिबद्ध बनें यही मंगल भावना । पत्ता : झमकुबहन लालजीभाई घेलाचंद खोना C/o. वीरचंद लालजी खोना A सांईधाम एपार्टमेन्ट - ७ मी मंजिल, परसोत्तम खेराज रोड़, मुलुन्ड (वेस्ट) मुंबई - ४०००८०. फोन : ५६१९०२२/८५५३७३७ 888888888888888888888 १५० अप्रमत्त तपस्विनी मैनाबाई कचरदासजी चोरडिया 888888888 3333330 येरवड़ा (पूना) निवासी सुश्राविका श्री मैनाबाई कचरदासजी चोरडिया (उ.व. ६१) अपने जीवन में अत्यंत अप्रमत्तता से निम्नोक्त प्रकारसे अनुमोदनीय आराधना करती हैं । रात को १२ से २ बजे तक केवल दो घंटे ही आराम करती हैं। बाकी के समय में अप्रमतरूप से आराधना करती रहती हैं । पिछले २७ साल से हररोज १५ सामायिक, ५ घंटे मौन नवकार महामंत्र की १५ मालाएँ, १ लोगस्स की माला एवं १ नमोत्थुणं सूत्र की माला का जप करती हैं। पिछले १३ साल से संलग्न वर्षीतप चालु है । उसमें भी महिने में ५ छठ्ठ और १ अठ्ठम करती हैं । १० बार मासक्षमण, ५१ उपवास

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