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बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - २ (१८) दो बार वर्षीतप किया (१९) पिछले ३७ साल में एकांतरित उपवास से कम तप नहीं है, अर्थात् कभी २ दिन लगातार आहार नहीं लिया ! आज भी उनके एकांतरित उपवास चालु हैं !
धन्य हैं ऐसी तपस्वी आत्माओं को । श्री जिनशासन ऐसी तपस्वी आत्माओं के कारण गौरवान्वित है । हम ऐसे तपस्वी आराधकों के जीवनमें से कुछ प्रेरणा पाकर आहार संज्ञा के ऊपर काबू पाकर, देहाध्यास से मुक्त होकर, अणाहारी मोक्षपद प्राप्त करने के लिए कटिबद्ध बनें यही मंगल भावना ।
पत्ता : झमकुबहन लालजीभाई घेलाचंद खोना C/o. वीरचंद लालजी खोना A सांईधाम एपार्टमेन्ट - ७ मी मंजिल, परसोत्तम खेराज रोड़, मुलुन्ड (वेस्ट) मुंबई - ४०००८०. फोन : ५६१९०२२/८५५३७३७
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अप्रमत्त तपस्विनी मैनाबाई कचरदासजी चोरडिया
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येरवड़ा (पूना) निवासी सुश्राविका श्री मैनाबाई कचरदासजी चोरडिया (उ.व. ६१) अपने जीवन में अत्यंत अप्रमत्तता से निम्नोक्त प्रकारसे अनुमोदनीय आराधना करती हैं ।
रात को १२ से २ बजे तक केवल दो घंटे ही आराम करती हैं। बाकी के समय में अप्रमतरूप से आराधना करती रहती हैं । पिछले २७ साल से हररोज १५ सामायिक, ५ घंटे मौन नवकार महामंत्र की १५ मालाएँ, १ लोगस्स की माला एवं १ नमोत्थुणं सूत्र की माला का जप करती हैं।
पिछले १३ साल से संलग्न वर्षीतप चालु है । उसमें भी महिने में ५ छठ्ठ और १ अठ्ठम करती हैं । १० बार मासक्षमण, ५१ उपवास