Book Title: Avashyakiya Vidhi Sangraha Author(s): Labdhimuni, Buddhisagar Publisher: Hindi Jainagam Prakashak Sumati Karyalaya View full book textPage 2
________________ ॥२॥ साधुसाध्वी प्रस्तावना आवश्यइस संग्रहका संयोजन विक्रम संवत् १९८२ में हुआ था, परम पूज्य महोपाध्यायजी श्रीमत्क्षमाकल्याणजी गणि कृत 'साधुविधि-13 कीय विधि प्रकाश' की तमाम विधियां इस संग्रहमें संगृहीतहैं, केवल 'साधुविधिप्रकाश में वांदणे देनेका विचार, पाण्मासिक तपश्चिंतन-2 संग्रहः प्रस्तावना * विचार आदि विशेष बातें विधिके साथही बतादी गइहै, हमने उन विशेष बातोंको टिप्पनीमें या 'विचारसंग्रह' रूप जुदे विभागमें 2 * रखदी हैं, जिससे आधुनिक जमानेके लोगोंको विधि जाननेमें सुभिता रहे । KI 'साधुविधिप्रकाश' में केवल रातदिन काम में आनेवाली विधियां ही हैं, अतः लोचविधि, सज्झाय निक्षेप तथा उत्क्षेप विधि आदि बारहों मास काममें आनेवाली कितनीक आवश्यकीय विधियां परम शासन प्रभावक खरतरगच्छ गगनांगण नभोमणि आचार्यवर्य बीजिनप्रभसूरिजी महाराज कृत 'विधिप्रपा' तथा श्रीमद्वर्द्धमानपरिजी महाराज कृत 'आचारदिनकर' के आधार पर एवं दृश्यमान है * प्रणालिका अनुसार संगृहीत की गई हैं, सबके अंतमें बारह व्रत तथा सर्व तपस्या उचरानेकी और पारणेकी विधि जो रखी गई है वह साक्षररत्न परम पूज्य मुनिवर्य । श्रीमल्लन्धिमुनिजी महाराज ने संगृहीत करी है । Jain Education Inter || 2010_05 For Private & Personal use only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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