Book Title: Atmanushasanam
Author(s): Gunbhadrasuri, A N Upadhye, Hiralal Jain, Balchandra Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 326
________________ -२२६] कीदृशो मुनयो विमुक्तेर्माजनम् २१३ यमनियमनितान्तः शान्तबाह्यान्तरात्मा परिणमितसमाधिः सर्वसत्त्वानुकम्पी। विहितहितमिताशी क्लेशजालं समूलं दहति निहतनिद्रो निश्चिताध्यात्मसारः ॥२२५॥ समधिगतसमस्ताः सर्वसावद्यदूराः स्वहितनिहितचित्ताः शान्तसर्वप्रचाराः। स्वपरसफलजल्पाः सर्वसंकल्पमुक्ताः कमिह न विमुक्तेर्जिनं ते विमुक्ताः ॥२२६॥ यम-नियमनितान्तः यमो यावज्जीवं व्रतम्, नियमो नियतकालव्रतम्, तयोनितान्त: तत्परः । शान्तबाह्मान्तरात्मा सान्त: उपशान्तः व्यावृत्तो बाह्ये वस्तुनि अन्तरात्मा मनो यस्य । परिणमितसमाधि: स्थिरतां गतसमाधिः । सर्वसत्त्वानुकम्पी सर्वप्राणिषु कारणिकः । विहितहितमिताशी विहितम् आगमोक्तं हितं परिणामपथ्यं नित स्तोकम् अश्नातीत्येवंशीलः । क्लेशजालं क्लेशसंघात:(-तं)। समूलं तत्कारणभूतकमंणा सह । निश्चिताध्यात्मसारः अनुभूतशुद्धात्मस्वरूपः ॥२२५॥ ये चैवविध गुणसंपन्ना मुनयः ते मुक्तेर्भाजनं भवन्त्येवेत्याह-समधिगतेत्यादि । समधिगतं परिज्ञानं समस्तं हेयोपादेयतत्त्वं यः । स्वहितनिहितचित्ताः स्वहिते रत्नत्रये निहित स्थापितं चित्तं यः । शान्तसर्वप्रचाराः शान्ता उपशमं गताः सर्वप्रचारा: सन्द्रियप्रवृत्तयः येषाम् । स्व-परसफलजल्पा: स्व-परयोः सफल: उपकारक: जल्पो वचनव्यापारो येषाम् । विमुक्ता मुनयः ।। २२६ ।। मुक्तिभाजनतामात्मनो वाञ्छता भवता जो यम-यावज्जीवन किये गये व्रत,तथा नियममें-परिमित काल के लिये धारण किये गये व्रतमें-उद्यत है,जिसको अन्तरात्मा (अन्तःकरण ) बाह्य इन्द्रियविषयोंसे निवृत्त हो चुकी है, जो ध्यानमें निश्चल रहता है, सब प्राणियोंके विषयमें दयाल है, आगमोक्त विधिसे हितकारक (पथ्य) एवं परिमित भोजनको ग्रहण करनेवाला है,निद्रासे रहित है,तया जो अध्यात्मके रहस्यको जान चुका है। ऐसा जीव समस्त क्लेशोंके समूहको जडमूलसे नष्ट कर देता है ॥२२५।। जो समस्त हेय-उपादेय तत्त्वके जानकार हैं, सब प्रकारकी पापक्रियाओंसे रहित हैं, आत्महितमें मनको लगाकर समस्त इन्द्रियव्यापारको शान्त करनेवाले हैं,स्व और परके लिये हितकर वचनका व्यवहार करते हैं, तथा सब संकल्प-विकल्पोंसे रहित हो चुके हैं; ऐसे वे मुनि यहां कैसे मुक्तिकें पात्र न होंगे ? अवश्य होंगे ॥२२६।। जो विषयरूप राजाकी दासताको प्राप्त हुए हैं तथा जिनका

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