Book Title: Atmanand Prakash Pustak 047 Ank 09 Author(s): Jain Atmanand Sabha Bhavnagar Publisher: Jain Atmanand Sabha Bhavnagar View full book textPage 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir શ્રી આત્માનંદ પ્રકાશ. ... १४:-श्री वैन मात्मान समा-भावनगर ... वी२ स. २४७६. પુસ્તક ૪૭ મું. विभ स. २००१ :: ता. १४ भी सप्रीत १९५० :: અંક ૯ મે. HalesigarlesaCTORROTEMOCRATRAICHROPHOTOHERS HGRIHSANGEDERATORCHEHEROIN श्री अन्तरिक्षपार्श्वनाथ जिनेश्वर स्तवन. ( राग-जब तुमही चले परदेश.) श्री अन्तरिक्षप्रभु पास, पूरो हम आश स्वामी सुखकारा, सेवकका करो उद्धारा विदर्भदेश के शिरपुरमें, तुम जाकर बैठे दूरदूर में तुम दर्शनको आया हूँ जिनजी प्यारा...सेवक० १ तुम सेवामें मैं आया हूं, महापुण्य से दर्शन पाया हूँ आनंद हुआ है दिल में आज अपारा....सेवक० २ तम मूर्ति अद्धर रहती है, अति चमत्कार चित्त देती है तुम महिमा जगमें सोहे अपरंपारा....सेवक० ३ प्रभु तुमने रोग मीटाया है, श्रीपालका कोढ हटाया है मुज दुःख हरो करुणारसके भंडारा....सेवक० ४ तुम नामको नित्य समरता हूँ, करजोडके विनति करता हूँ जंबूको है प्रभु तेरा एक सहारा....सेवक० ५ रचयिता-मुनिराज श्री जंबूविजयजी महाराज. are RTEREOVIDEary Geneeyaswaya maydeyo DIOYDER ANTERACTETokoerakaporerna R HEHOODAraceredao MSANOTHEROINTRODNETROS HESHTRODireROOTSAParacterDirekaceedia.COMICROX9 OOTHORRORRORTRENCY reaches MAGElecGO A For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28