Book Title: Atmamimansa
Author(s): Dalsukh Malvania
Publisher: Jain Sanskruti Sanshodhan Mandal Banaras

View full book text
Previous | Next

Page 146
________________ ( १३७ ) वैदिक देव और देवियां वेदों में वर्णित अधिकतर देवों की कल्पना प्राकृतिक वस्तुओं के आधार पर की गई है। प्रारंभ में अग्नि जैसे प्राकृतिक पदार्थों को ही देव माना गया था। किन्तु धीरे धीरे अग्नि आदि तत्त्व से पृथक् अग्नि आदि देवों की कल्पना की गई। कुछ ऐसे भी देव हैं जिनका प्रकृतिगत किसी वस्तु से सरलतापूर्वक संबंध नहीं जोडा जा सकता जैसे वरुण आदि । कुछ देवताओं का संबंध क्रिया से है जैसे कि त्वष्टा, धाता, विधाता आदि । देवों के विशेषण रूप में जो शब्द लिखे गए, उनके आधार पर उन नामों के स्वतंत्र देवों की भी कल्पना की गई। विश्वकर्मा इन्द्र का विशेषण था, किंतु इस नाम का स्वतंत्र देव भी माना गया । यही बात प्रजापति के विषय में हुई। इसके अतिरिक्त मनुष्य के भावों पर देवत्व का आरोप करके भी कुछ देवों की कल्पना की गई है जैसे कि मन्यु, श्रद्धा आदि। इस लोक के कुछ मनुष्य, पशु और जड़ पदार्थ भी देव माने गए हैं जैसे कि मनुष्यों में प्राचीन ऋषियों में से मनु, अथर्वा, दध्यंच, अत्रि, कण्व, कत्स और काव्य उषना। पशुओं में दधिका सदृश घोड़े में देवी भाव माना गया है। जड़ पदार्थों में पर्वत, नदी जैसे पदार्थों को देव कहा गया है। देवों की पत्नियों की भी कल्पना की गई है जैसे कि इन्द्राणी आदि । कुछ स्वतंत्र देवीयां भी मानी गई हैं जैसे कि उषा, पृथ्वी, सरस्वती, रात्री, वाक् , अदिति आदि । वेदों में इस विषय में एकमत्य नहीं कि भिन्न भिन्न देव अनादि १ इस प्रकरण को लिखने में डा० देशमुख की पुस्तक Religion in Vedic Literature के अध्याय ९-१३ से सहायता ली गई है। मैं उनका आभार मानता हूँ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162