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काल से हैं या वे किसी समय उत्पन्न हुए हैं । प्राचीन कल्पना यह थी कि वे द्यु और पृथ्वी की संतान हैं। उषा को देवों की माता' कहा गया है, किंतु वह बाद में स्वयं द्यु की पुत्री मानी गई । अदिति और दक्ष को भी देवताओं के माता पिता माना गया है । अन्यत्र सोम को अग्नि, सूर्य, इन्द्र, विष्णु, घुं और पृथ्वी का जनक कहा गया है। कई देवताओं के परस्पर पिता पुत्र के संबंध का भी वर्णन है। इस प्रकार ऋग्वेद में देवताओं की उत्पत्ति के संबंध में एक निश्चित मत उपलब्ध नहीं होता । सामान्यतः सभी देवों के विषय में ये उल्लेख मिलते हैं कि वे कभी उत्पन्न हुए हैं, अतः हम कह सकते हैं कि वे न तो अनादि हैं और न स्वतः सिद्ध |
ऋग्वेद में बार बार उल्लेख किया गया है कि देवता अमर हैं, परन्तु सभी देवता अमर हैं अथवा अमरता उनका स्वाभाविक धर्म है, यह बात स्वीकार नहीं की गई। वहां यह कथन उपलब्ध होता है कि सोमका पान कर देवता अमर बनते हैं । यह भी कहा गया है कि मि और सविता देवताओं को अमरत्व अर्पित करते हैं ।
एक ओर देवताओं की उत्पत्ति में पूर्वापर भाव का वर्णन किया गया है और दूसरी ओर यह लिखा है कि देवों में कोई बालक अथवा कुमार नहीं, सभी समान हैं। यदि शक्ति की दृष्टि से विचार किया जाए तो देवों में दृष्टिगोचर होने वाले वैषम्य
ऋग्वेद १. ११३. १९.
ऋग्वेद १.३०.२२.
३ ऋग्वेद २.२६. ३.
५
२
४. ऋग्वेद १०.१०९. ४; ७. २१. ७. ५ ऋग्वेद ८. ३०.१.
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