Book Title: Arddhmagadhi Aagama che Vividh Aayam Part 01
Author(s): Nalini Joshi
Publisher: Firodaya Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 11
________________ है। द्वितीय श्रुतस्कन्ध के भी दो नाम हैं - आयारग्ग (आचाराग्र) और आयारचूला (आचारचूला) । नियुक्ति में आचारांग के दस पर्यायवाची नाम इस प्रकार बताये हैं। १. आयार - यह आचरणीय का प्रतिपादक है, इसलिए ‘आचार' है । २. आचाल - यह निबिड बन्धन को कम्पित करता है, इसलिए ‘आचाल' आगाल - यह चेतना को समभाव में अवस्थित करता है, इसलिए 'आगाल' है। आगर – यह आत्मिक-शुद्धि के रत्नों का उत्पादक है, इसलिए ‘आगर' ४. ५. ६. ७. आसास - यह सन्त्रस्त चेतना को आश्वासन देने में क्षम है, इसलिए 'आश्वास' है। आयरिस - इसमें 'इति-कर्तव्यता' देखी जा सकती है, इसलिए यह 'आदर्श' है। अंग - यह अन्तस्तल में स्थित अहिंसा आदि को व्यक्त करता है. इसलिए ‘अङ्ग' है । आइण्ण - इसमें आचरित-धर्म का भी प्रतिपादन है, इसलिए यह 'आचीर्ण' है। आजाइ - इससे ज्ञान आदि आचारों की प्रसूति होती है, इसलिए आजाति १०. आमोक्ख - यह बन्धन-मुक्ति का साधन है, इसलिए 'आमोक्ष' है ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 ... 240