Book Title: Anuyogdwar Sutra Part 02
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 6
________________ મળવાનું ઠેકાણુ : श्री म. सा. वे स्थानवासी જૈનશાસ્ત્રોદ્ધાર સમિતિ, 3. गरेडिया डूवा रोड, रानडेंट, (सौराष्ट्र ). लालभाई दलपसभा अन्थालय संस्कृति 品 हरिगीतच्छन्दः लिये । करते अवज्ञा जो हमारी यत्न ना उनके जो जानते हैं तत्र कुछ फिर यत्न ना उनके जनमेगा मुझसा व्यक्ति कोई तव इससे पायगा । लिये ॥ है काल निरवधि विपुलपृथ्वी ध्यान में यह लायगा ॥ १ ॥ 品 १३८६५ ये नाम केचिदिह नः प्रथयन्त्यवज्ञां, जानन्ति ते किमपि तान् प्रति नैष यत्नः । उत्पत्स्यतेऽस्ति मम कोऽपि समानधर्मा, कालो हायं निरवधिर्विपुला च पृथ्वी ॥ १ ॥ फ्र 5 विद्यामंदिर Published by : Shri Akhil Bharat S. S. Jain Shastroddhara Samiti, Garedia Kuva Road, RAJKOT, (Saurashtra ), W. Ry, India. પ્રથમ આવૃત્તિ પ્રત ૧૨૦૦ વીર સંવત્ ૨૪૯૪ વિક્રમ સંવત ૨૦૨૪ ઈસવીસન ૧૯૬૮ भूयः ३. २५=०० : भुद्र४ : મણિલાલ છગનલાલ શાહ નવપ્રભાત પ્રિન્ટીંગ धी अंटा रोड, अभहावा. પ્રેસ,

Loading...

Page Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 ... 295