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नार उते नयनमा तनय भावस्तुमाने यानाने गम से सन जनयत माणसाला परुणानं उमंत्रककार संग्रह जो कव्याहारा नत्र थान पनि एनमम सर्वसम तिते करता तमवज्ञारनइ३७ ऊनुसरल चत्रपणा राहत जे नयात जुन उन ए. एवं उत मगर सनविहे पन्नगतित नह] [एगामसँग स्वहा ३ उसुरा ४साद५ समभिरुाउ (एस-ते कि) सो-नेग ति· त्रिविकरूपाधान व क्थानादार सतिन उद्द्र शान जाएग बात व वसतियां कोण मनय प्रकार प्याांततेतकरी करीर ६ एवभूएस किंतागमेतिविाह पन्नता हा दटात एव सहिदगतणं परेसन - तेथिं: प: पाधान उतारा सतराज- जिमना कि काईएका महाजा आणि ते प्रदेश का उपधानर शांतक संभा बनाना ष सातवट सूता रादिकः कुरु को होने सीधान्यमान स टूटने करी रिसेपनाभ थाप उम परसदिठांतरण।सकिंतं पग दिवाएं सज हा नाम शकरपुरे सफर तु गहा उसने हे ते काय का तंतेपुरुषप्र तरकिं पा· देवी ब्र. एम . एम भगन्तु गमनयनामतननुसार क. कांतरीत कि सिनिएगा नही प्राधिर्नियमेन उरणम रंगी जा यर श्री को एकपुरुष नर न बोयर जाय उतर दियाथान जाउ र पुरुष खत्री-सुधन को एक भूमे रोपरुष विंग सेवाव्रत
अनेरठ)
विमुहगावानंच किरणामत्ता व एका भगवामान
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