Book Title: Anuyogadwara Sutra
Author(s): Aryarakshit, 
Publisher: Sujalpur

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Page 410
________________ से अर्थ पीढी भूतकर व स सर्व द्रव्यनिवि पर स्थ करपणो नमानात मारव्यवहार करियर ए लरकर गेमि लामा साग बाय १ संग हियपिंडियां संग हवय समा बोलशी ठीर्थनी वा श्रर्थं नाव हार र व्यवहारस सर्व द्रव्पनिविवर प्रथकर पं. प्रवर्ते बर्तमान काल करभावाने सापीरती कारण विजन प्रभू परगो जमानतमाटर ब्यबहारकहीय. सा नतेनेग्रहेकनोस] साबति वच्चतिविशिबियवं अनेक धनागमास्थ नरनात सुनन वियर नाह विमुखरूपप्रय महारथप्रवर्ते अथवा यारी कराह उ सूत्र मानिग्नभरणीरुनु स्त्रराय करिय उप्रति वर्तमान म नथी रुपकुरनू बानर वर्तमान कालमा न इभाव दस्तुनि ववहारा सदासुर पचपन्नगाही उद्य सुउ एयविही सुनयाच सेयर प्रसूनादिक धनपने पर्यायाधिक वस्तु ट्रादिकन्सक पर मीट मानत पर ब्रजेत सम अन्य वस्तु शत दिकनिर्विषये सात वस्तुने संभव किांत समभिरुनि भिरुदथयारश्र्वर्य तपरमेश्वर ने शक्तेश्वरात राम माने यथा संदेहपदतथा उसक मणे हा अब ए इखविससियत र चुप नंउमंदा For Private & Personal Use Only

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