________________
१९७
नानामने थाप-कमा पूर्वजम जाएग नाता राजा-नावत जिल
जा जाएानी सानी भा. भविक शरि एक नोमरीर
लिए दयाभावानामराउ गया उजारभाव जाग सरीर भाग्यस व्यत्र द्रव्याति-त्रिए प-परु ते-तेकाला लोकी लो- लोको कु· कुडित प्राय्चनजे नाते माथको चो अनेरी य प्रकार काय करश्रायर प्रवचन कहते हो प्राप वाकीकक ज्ञानं कारण शरीरवरशित दवाएतिचित्पन्नाचतं जहाम्लाइ राबाउ तारे एकुप्पाव्यि - त्रिप्रकापरुलं तदेषाईस.सवितव ग्रचित राम मिश्र मने प्रथकिं साचत यू बई नालासोपासना कोणते ते वस्तुनोलाभ ए मर्कितंाला र ए २ तिहिताना सचित तिमी एि
त्रिप्रकार पर त- तक हर टु-दोपट्नो चः चापट्
श्री अपना लाभ? (बे पगाते स
'बई
नावार
ना लाभ
सांचा २ निहिताननरादुपया एच उपया धूपया