Book Title: Anuyoga Dwar Sutra
Author(s): Aryarakshit, Shivchandra Porwal
Publisher: Ratlam

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Page 7
________________ सेनाथ की जा० जाए तो सरथवान जाए हो नारनोसरी रन्यथवाए वैद्यकीय २० मतिर तानेरी पाने से०प्रथ ते० तेन न वियसरी रङ्ग मन्त्रावस कक हि श्री जोजाविन्यस निलय रीरव्यतिरसत्र या कारे वस्प क कहि श्र अनुयो विस्सर सेतेन वियस रहावस | से किं तेजा लगनवियस्सरी श्वशीर्त ॥ रानसय २ 11 |चक्रव्पो सं०ते कह लौकीक प्रावचनीक लोकोतको | लो की कतेको हनत से लोइयंकप्पावलिये | लोउस रिसेकित २०४ तिवि मावस कसे २ जेएव्रतस ★ रेबाने बे लास्यं २ ॥ जेश्मेश सेनापती सार्थ वा मादिदे ह चना मस्ती प्रमाण धीकारी जन्मनावली राजा मुख T कालिकास लोक थकविहाली इसर | तलवर को डैबियं मार्ड वियज्ञ ॥ सेहिसेलावर [सवाह पनि श्३ | कले पाउपनाया जीएत रात्रियथ अंधकार मेल अतिउत्पल कमलरी लवि कोम उघथ के विकसे थके मथ वाहुरी क केलितविक सिल लकमलन तथा मृगलोचनल्वे ली के नाम कम वोष राणी एसु विमलाए फुलुलकम्मल कोमलु लियमि ॥ व्ाह पडुरेचहाए र तासी गपगास कामानुजी लोगो ककमननोर कहते हमे विषर के हो सहस्त्र किरल गजे है ह मूध तेसरी बो कमलीना वन नोहार किं सुयभुथ हर्गुभ दूरागसरिते ॥ कमलान (लिसिडबी हुए। उहि मिसुरे सहस्सर स्प्रिं दिनकरने का समान तलावातावान बाली नाथ कति माथेमरसव घाली सकरे मुब धो वाले मारी से जो मिदियरे तयसाजलते । मुद्दाय (देत्तरकाला | तेल फहि सिंघ हरियल ३०द्रमास के करीब न० ते वारपछि श्रावक नितिप्रतिकर वाले माटे राज द्वारी अथवा मावस क कही थक वह‍ झपबेवर आदिदेश न्गुष्याकुल पासवान वस्त्र भाल सुगंध वा पहरवा यत्र ॥ कवयुकमल गंधत बोलवच्चमा धान साई करिति । तव नाराय दारला ल ช

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