Book Title: Anuyoga Dwar Sutra
Author(s): Aryarakshit, Shivchandra Porwal
Publisher: Ratlam

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Page 6
________________ त्रिीजीनीयासमथक स०ने कि०को तन्तेजा सीव्यावसकामायावसका महामनेटाथना जापान ना द्रश्नावसककही। गतेकोएसिषप्तगुरु अधीकारहर कहने ७ रडावस्मयाव सकिंतजामसरवावसय मावस्सएतिपयछारिमारजालास जेमसते बचेतनर प्रारही। वळायो जीजावधीरहित सिम्सेवासंथाराने सिनहासाकस्नु पर्वतसि के हिलत सीरमीउपचएहतूमीवरल्लामा विभेजसथारोकी ने सिधसिलान विवरलं. जसतीपथाववायचाविय चनादेहिाजीवचष्पजई सियागर्यवा सिधसिलाएलगयेवा पा०वामाना काफी कवी सन्मानयहिनामंत्र गनेवि। जिनतिर्थकरनेउपदे नाचेकरी निशिमावसकएहत। वही घरासरीरहदगल । स मनिपायर पासेसाणाकावन्द्यामहरोत्रमेणेसरीरसभ्सएनणावश्वनाविणामावरमयतिपा गुफकनेसाजत्युत्तेहासुत्रांचकहिव वकिलेहलादिनिश्चेकरीवापस मानिकारकराएमनोधी विनीतसिषप्रत्तेकरूपकपबतकबाकरवा चनयम धात सामाघवियचिरुवियदेसियानिसियविरसिया जडाकोदितमयमक म०ए०धीनोऊजबकी सेवायसन्सनीहसते.द्रव्य साथ कि०को ऊतो. जाण नो1 श्रावमककदिर प्रावसक लामोजाणते पानिप्रद्योग्रासिमजागसीरवाधस्सया सेकिंमवियसशरद सरीरद्रव्यश्रावतीवजागि जन्महाव निकले एसले एजनि मानसरीरकप स सककेहि नोपदिशभावका चक जननाच छावसयजावाणिजम्मलनिस्तेश्मेलचेवावन्नएल सीरसमुसयणजिणावरहे समयावसकाह प० पद सिब नही हवा सिष निकोलाविण्यघनोनय तीनथी दाहोसी - नेपालि । अनि । सेवा नियमय उवहमिय। पका लेनावमाणियावस्सयतिपय सिविस्सनतावसिख। जहाकोरिहत्ती लायंचयकोन

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