Book Title: Anuyoga Dwar Sutra
Author(s): Aryarakshit, Shivchandra Porwal
Publisher: Ratlam

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Page 3
________________ या सकना निषे पा४रे उथावना दण्द्रव्यभाव माना मावसक वसकर सक सेन्ते को सं० तेनान्ना मन्प्रावसक नब्जे जी०जीव नो भा० जावावस कम 202 अनु यो हा नामवस्मयं उडवावस | हवावसय ॥ नाथावस्य ॥ सेकिर्तनामावरसयं २ | जस्सजीव स एकजी जी०घलजी ०छा अजीव तजीवजीव -प्रा० न्यावसक एह नाम कि०करी बनो वनो 5 ਜਾ ना वा । जीव एस वाली वाणेना। प्रजी वाला । तयसवानलेवा । व्यावसाय इति नाम कि निमजीव सान्जीवनोना से० ते सं. नामव्यावसकर जेजे क०काटनी पुत साधरूपेचिश्रा पो० वस्त्रमन्त्र नो नाम मन्त्रावसक कोलते थापना व सकते की ली म सारुप‍ थवा पत्रको स्यु सेना व समय से किं तंश्वा वस्तयं २|| जनं कह कम्मे वाचितकम्मे वा पोळकम्मेवा साधारी रूपले बीती ने की मिश्री से०लीवरी कार ए०एक साधादिकनो नाम करेनीरे लेबीने की नीतली नी परे नीप मुक पक चुकनी परेषामाको अथ्वा प्पकम्मेवा | गंधिमेवा [विटि मिना । हरिमेवा || संघारमेवावा व एना । एगोवा ०घण ( अ० नेथापनाथोही घटी परह‍ काल पल रहे जिहा या जिवनिल गरहने तवा स्थापना र त०धोका "ते सदभावथापनाने ने व स्थापना चनाकरी ने काट फुतली भुष मोटा ले मा गोवा | सावडवणा एवा ॥श्रसनावड व लाएगा। प्राचस्स एवति ॥ डवडला एक बार होते थापायाव ४० स | ना० नामद्याप कोणाचि से | प्रतिगुरु कब वा आवेकहिये निहा सक कहि से० ते ० वसक स्थिती और निहाल जिते नाम रही इ ਕੇ घ ना० नाम सत चवलास | छ । नाम हवलाल कोष इ विशेसो । नाम प्र०काने जावजी य ते तथापीतिह लगि इ उथापनात्रावसक सेते कि०को ह याच कहिये हवा र तिरिया वा होया । श्रावक दियावाहविद्या) से डव लावस्मय से किं २

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