Book Title: Anusandhan 2011 09 SrNo 56
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 6
________________ अनुक्रमणिका अज्ञातकर्तृक ऋषिमण्डलस्तवः ॥ सं. विजयशीलचन्द्रसूरि १ रत्नाकरसूरिविरचितम् रैवतकाद्रिमण्डननेमिजिन स्तोत्रम् पं. अमृत पटेल ३४ अष्टोत्तरशतसंवर शब्दार्थगभितं स्वोपज्ञाऽवचूणि चचितं श्री अभिनन्दनजिनस्तोत्रम् पं. अमृत पटेल ३९ जयानन्दसूरि कृत प्रथम जिनस्तोत्र (टीका) । सं. मुनि सुयशचन्द्र ५१ सुजसचन्द्रविजयौ सोपाराविज्ञप्तिका सं. मुनिसुजसचन्द्र ५८ सुयशचन्द्रविजयौ उपा.श्रीगुणविजयजी गणि कृत बे अप्रगट स्तुतिटीका सं. मुनिसुजसचन्द्र ६५ सुयशचन्द्रविजयौ श्रीभेरवचंद-कृत श्रीटंकशालमध्ये श्रीश्रेयांसजिनचैत्यसम्बन्धः ॥ सं. विजयशीलचन्द्रसूरि ७६ श्रीमतिकीय॒पाध्याय विरचिता स्वोपज्ञवृत्तिविभूषिता गुणकित्व-षोडशिका म. विनयसागर ९६ श्री मुरीबाई तेरमास (हरखासुत शिवराजकृत) संपा. रसीला कडीआ ११६ प्रकीर्ण स्तवनो उपा. भुवनचन्द्र १३१ ढूंकनोंध (अनुपूर्ति) : मोटी खाखरना देरासरमांनो एक पादुकालेख उपा. भुवनचन्द्र १४१ दर्शन विशे विचारणा ले. मुनि त्रैलोक्यमण्डनविजय १४३ विहंगावलोकन उपा. भुवनचन्द्र १७४ नवां प्रकाशनो १७६ आ.श्रीसूर्योदयसूरीश्वरजीने अंजलि १७९

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