Book Title: Anusandhan 2011 09 SrNo 56
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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अनुसन्धान-५६
७. गा. ४४-४६मां 'सुमणभद्र' (स्वप्नभद्र के सुमनोभद्र) ऋषिनुं वर्णन छे. आ मुनिनो वृत्तान्त प्रचलित नथी. कदाच, अहीं पहेलीवार तेमनी विगत मळे छे. तेमणे एक रात्रिमा १४ उपसर्गो खम्या, देहभावनो त्याग कर्यो, अने रात पूर्ण थतां तेमने केवलज्ञान प्राप्त थयुं. त्यार पछी इन्द्रे तेमनी वन्दना अने प्रशंसा करी.
८. गा. ४७-५५मां शालिभद्र ऋषि- रोचक वर्णन छे. गा. ४७मां शालिभद्रने 'नालंदासुकुमाल' तरीके ओळखावेल छे, तेथी तेओ राजगृहीनगरीमां नालन्दापाडामां वसता हशे तेम समजाय छे. प्रचलित कथा प्रमाणे शालिभद्रने ३२ पत्नीओ हती. अहीं तेने बदले २१ पत्नीओ होवा- (गा. ४९) जणाव्यु छे, अने बत्रीसबद्ध नाटकोनी संख्या पण २१ ज जणावी छे. गा. ५२मां तेमनी पासे बे प्रकार- धन हतुं तेम वर्णवायुं छे : एक, वडीलोपार्जित, बे, नागदेवता द्वारा प्राप्त. आ उपरथी एम जणाय छे के शालिभद्रना पिता गोभद्रशेठ नागदेवलोकमां हशे. गा. ५३मां चोवीश भद्रोनो त्याग करीने दीक्षा लीधी तेम निर्देश छे. आ २४ भद्र शुं हशे ? ते समजमां आव्युं नथी.
९. गा. ५६-५८ सुप्रतिष्ठ ऋषिने वर्णवे छे. वर्णन अनुसार, 'सिंहनिष्क्रीडित' नामना महातपना आराधक ते छेल्ला हता. १०. ५९ थी ६३ गाथाओमां सुदर्शन ऋषिनी स्तुति थई छे. दधिवाहन राजानी अभया राणी द्वारा थयेल उपद्रवथी पण ते चलित न थया, अने तेमनुं गर्छ कापवा माटे उगामेली तलवार पुष्पगुच्छरूपे पलटाई तेवो उल्लेख ध्यानार्ह छे. ११. गा. ६४-६५मां राजा दशार्णभद्र तथा तेमणे करेला त्यागनुं वर्णन छे. ७०० स्त्रीओ अने ५० हजार रथ इत्यादिनो त्याग करीने तेमणे दीक्षा लीधी हती. १२. गा. ६६७४ चक्रवर्ती सनत्कुमारनी स्तवना करे छे. तेमां तेमने थयेल सात मोटा रोगोनां नामो पण छे.
१३. गा. ७५-८२ मां उदायण राजर्षिनुं वर्णन छे. उदायन (के उद्रायण ?) सत्यनिष्ठ हतो, अने ते ज कारणे तेनी सैन्य-छावणीने विकट जंगलमां पाणीनी अछत थई, त्यारे दिव्य सहायथी पाणी सांपडेलुं एवो अहीं (गा. ७५) उल्लेख छे. चण्डप्रद्योतना कपाळे तेणे 'मम दासीपतिः' एवा अक्षरो अंकावेला ते 'मोरपित्त' (मोरनुं पित्त अथवा ते नाम- कोई विलक्षण द्रव्य)

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