Book Title: Anusandhan 2011 09 SrNo 56 Author(s): Shilchandrasuri Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad View full book textPage 8
________________ २ अनुसन्धान-५६ सिवाय अन्यत्र क्यांय तेनी प्रति छे नहि, अथवा नोंधाई नथी. खम्भातनी बे पैकी एक प्रतिनो क्र० १२० छे; तेमां विविध लघु कृतिओनो संग्रह थयो छे; ते पैकी सातमा क्रमाङ्के आ रचना, पृ. ९७ - ११९ मां आलेखायेली छे. आमां प्राय: एक पत्र अप्राप्त छे. आ पोथीनो ले. सं. श्रीपुण्यविजयजीए, १२मी सदीनो उत्तरार्ध अनुमान्यो छे. अत्रे आपेली वाचना मुख्यत्वे आ प्रतने अनुसरीने छे. तेने अहीं खं. १ एवी संज्ञाथी ओळखावी छे. बीजी प्रतिनो क्रम. १३१ छे. ते २८ पानांनी प्रत छे. तेनो ले. सं. १४ शतकनो पूर्वार्ध होवानुं पुण्यविजयजीए नों ध्युं छे. अत्रे तेने खं. २ एवी संज्ञा आपेल छे बन्ने प्रतिओना पाठोनी तुलना करता केटलाक रसप्रद तफावतो तथा मुद्दा प्राप्त थाय तेम छे. बीजी गाथामां 'इसीसु सुकयत्थयं' एवो प्रयोग थयो छे. अर्थात् 'ऋषिषु सुकृतस्तवं' एम सप्तमी - प्रयोग छे. प्रस्तावनानी गाथाओ ३-११ मां, कर्ता, स्तवना विषयभूत ऋषिओनां नामोनी यादी आपे छे, तेमां पण सर्वत्र सप्तमीनो ज प्रयोग कर्यो छे. आ महत्त्वनो प्रयोग छे. षष्ठीना स्थाने के षष्ठीना अर्थमां सप्तमीनो आवो प्रयोग, आ रचनाने आर्ष रचनामां मूकी आपे छे, एम कही शकाय. स्तवनीय ऋषिओनो नाम क्रम आ प्रमाणे छे : १. प्रभुवीर, २. इन्द्रभूति गौतम, ३. धन्य, ४. आर्यलोह, ५. अतिमुक्त, ६. सुनक्षत्र, ७. सुमणभद्द (स्वप्नभद्र), ८. शालिभद्र, ९. सुप्रतिष्ठ, १०. सुदर्शन, ११. दशार्णभद्र, १२. सनत्कुमार, १३. उदायन, १४. यदु- सारण, १५. बलराम, १६. शेलकपुत्र, १७. बाहुबलि, १८. स्कन्द, १९. विष्णु, २०. सुव्रत, २१. शिव, २२. केशी, २३. वज्ज लाढपुत्र, २४ तेतलिपुत्र, २५. वारत्त, २६. कूर्मापुत्र, २७ वैश्यायन, २८. निन्नकुलपुत्र, २९. देवकीपुत्र गज (सुकुमाल), ३०. प्रद्युम्न, ३१. शाम्ब, ३२. कालासवेसिय, ३३. हरिकेश, ३४. सुकोशल, ३५. लंचक निर्ग्रन्थ, ३६. मेयज्ज, ३७. अभय, ३८. जम्बू, ३९. ढंढ, ४०. गङ्गदत्त, ४१. नागदत्त, ४२. चिलातपुत्र, ४३. कुरुदत्त, ४४. आणंदऋषि, ४५. आर्यवज्र. आ यादी प्रमाणे ज आम तो स्तवना चाले छे. परन्तु क्र. २१मां गोभद्रऋषि, क्र. २४मां वरदत्त ऋषि अने क्र. २७मां गोभद्र के गोसन्न ऋषिनी स्तवनानी गाथाओ मळे छे. आ नामो प्रस्ताविक नाम - क्रममां नथी ! अस्तु.Page Navigation
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