Book Title: Anusandhan 2011 09 SrNo 56
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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________________ ऑगस्ट 2011 181 हेठळ, तगडी-प.पू. आचार्य श्रीविजयनन्दनसूरीश्वरजीनी समाधि-भूमि उपर नन्दनवन तीर्थ- निर्माण थयुं छे. अमदावादमां पालडी विस्तारमां शासनसम्राट आ. श्रीविजयनेमिसूरीश्वरजीना नामे जैन स्वाध्याय मन्दिरनुं सर्जन थयुं छे. आनी विशेषता ए छे के आ भवनमां भव्य ग्रन्थालय तो छे ज, साथे ज, 'प्राकृत टेक्स्ट सोसायटी' नामनी विश्वख्यात संस्थानुं पण मुख्य केन्द्र अहीं समावायुं छे. सद्गत पं. दलसुख मालवणिया तथा डॉ. हरिवल्लभ भायाणीना अनुरोधने आदरपूर्वक स्वीकारीने आ संस्थानी स्थिरताने लक्ष्यमां राखीने तेओए आ स्वाध्यायमन्दिर बनावडावीने प्राकृतविद्याना विश्व उपर मोटो उपकार को छे, एम कहेवामां अतिशयोक्ति नथी. एमने सं. २०३०मां आचार्यपदवी गुरुभगवन्तोए प्रदान करी हती. सं. २०६२-६३मां तेमना शिरे संघाडाना वडील तरीकेनी जवाबदारी आवी, जे तेओए योग्य रीते निभावी. छेल्लां त्रणेक वर्षोथी तेमनुं स्वास्थ्य प्रतिकूल रहेवा मांड्युं हतुं. त्रणेक वखत स्वास्थ्यनी स्थिति गम्भीर थई गई हती. छेल्ले महुवा-ऊना-कदम्बगिरि क्षेत्रोमां तेओना हस्ते यशस्वी धर्मकार्यो थयां, अने पछी तबियत बगडतां पहेलां महुवामां अने पछी अमदावादमां होस्पिटलमा दाखल करवा पडेला. आ गाळामां तेमनुं वर्तन तथा तेमनी वातो परथी समजातुं के पोतानो अन्तसमय नजीकमां होवानो तेओने ख्याल आवी गयो छे. उपाश्रये लाव्या बाद तबियत सानुकूळ थवा लागतां आशा बंधाई हती के हवे थोडा ज वखतमां तेओश्री स्वस्थता प्राप्त करी लेशे. परन्तु बुझातो दीवो वधु झळके तेना जेवू ज बन्युं, अने छेल्ला बे-त्रण दिवसमां तबियते गम्भीर वळांक लेतां वैशाख शुदि 1 नी वहेली परोढे तेओश्रीए आपणी वच्चेथी चिरविदाय लई लीधी.. आवा ज्ञानी अने प्रभावक गुरुनी-मार्गदर्शकनी खोट सदाय लागवानी - एमां बेमत नथी. एमनो तपोमय आत्मा ज्यां होय त्यां शान्ति प्राप्त करे तेवी प्रार्थना करवी ए ज हवे शेष कर्तव्य रहे छे.

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