Book Title: Anusandhan 2011 09 SrNo 56
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 186
________________ १८० अनुसन्धान-५६ आवा उपकारी, मार्गदर्शक अने प्रेरक गुरुभगवन्त आपणी वच्चेथी कायम माटे चाल्या गया ए वात बहुज आघातजनक, खेदकारक अने दुःखद बनी छे. आम तो आवा तेजस्वी, ज्ञानी, चारित्रवंत अने प्रभावशाली आचार्यमहाराजनी विदाय समग्र संघ अने समाज - सर्वने माटे दुःखदायी बनी गई छे, परन्तु तेम छतां, अनुसन्धान साथे तेमज हेमचन्द्राचार्य ट्रस्ट साथे संकळायेला सहु माटे तेमनी विदाय एक प्रेरणामूतिनी विदाय होई अत्यन्त वसमी थई पडी छे. पूज्य गुरुभगवन्तनुं वतन पंचमहाल जिल्ला- शहेर गोधरा. जन्म नजीकमां आवेला मोसाळना गाम बांडीबारमां : सं. १९९०ना वैशाख शुदि ६ ना दिने. पिता शाह कान्तिलाल वाडीलाल तथा माता शान्ताबेन, परिवार साथे अमदावाद जई वसेला. परिवारमा ४ भाई, ३ बहेनो. __पिताना नाना भाई शान्तिलाले पोतानी १८ वर्षनी वये दीक्षा लीधेली, ते मुनि शुभङ्करविजयजीनी तेमज वत्सल परमगुरु आचार्य श्रीविजयविज्ञानसूरि महाराजनी प्रेरणा मळतां बाळक बिपिनभाईने चारित्र लेवाना भाव थया. परिवारनी अनुमतिथी बे-एक वर्ष महाराजश्री साथे रह्या : विहार तेमज अभ्यास को. १३ वर्षे तेमने दीक्षा प्राप्त थई, परोली तीर्थ (पंचमहाल)मां, सं. २००३ना मागशर शुदि १४ना दिवसे. काका महाराजना शिष्य तरीके मुनि सूर्योदयविजयजी एवा नामे ते जाहेर थया. दीक्षा पछी लगभग पंदरेक वर्षो सुधी पोताना गुरुजनोना सांनिध्यमां रहीने, व्याकरण, प्राचीन तेमज नव्य न्याय, षड् दर्शनो, जैन सिद्धान्तना ग्रन्थो, जैन न्याय, छन्द तेमज काव्यशास्त्र तथा साहित्य, इत्यादिनुं सघन अध्ययन कर्यु. संस्कृतमां पद्यबद्ध पत्रलेखन करता. आगळ जतां ज्योतिष शास्त्रनुं पण ऊंडं अध्ययन कर्यु. तेमना आपेला मुहूर्तो उत्तम अने सफल बनता. आ विषयमां तेओ परम श्रद्धेय गणाता. अमने आ. शीलचन्द्रसूरि, आ. भद्रसेनसूरि, आ. नन्दिघोषसूरि आदि शिष्यो तथा प्रशिष्योनो गणनापात्र परिवार हतो. तेओनी प्रेरणा तथा मार्गदर्शन

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