Book Title: Anusandhan 2009 09 SrNo 49
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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१३४
अनुसन्धान ४९
कोडि सिलेमी
कोड - मनोरथ सुलेमानी (?) गर-गर्भ
गिरी
भरपूर
परिघल निबली हलवइ काबली चिण सुरहा मुंठकचरा सरघू धुपंगारीया
नबळी हळवे काबूली चणा सुरभि-सुगन्धी
सोआ
सरगवो धूप-अंगारिया अर्थात् सगडीमां बळीने भडधुं थयेल (?) सूवा (नी भाजी) वत्थुला (भाजी) भीना (?)
वथूया
सिना पलेव छछनाला पांडल पाणी पांभडी अटाणं चोवा
पाटलानी सुगन्धवाळु (?) पामरी-पीताम्बरी
चूवो
गहणा
घरेणां
अत्र पुनः ग्रन्थान्तराणुसारेण भोजनविच्छित्त(त्ति)प्राहः मांड्यो उत्तंग तोरण मांडवउं, तुरत बैसवानो नवो जे रमणीक आंगणो. ते तो नील रतनतणो । सखरा मांड्या आसण, तिहां बैसता किसी विमासण आगइ मूंकी सोनानी आंडणी, ते किम जाइयै छांडणी ।
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