Book Title: Anusandhan 2009 09 SrNo 49
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 183
________________ १७६ अनुसन्धान ४९ युक्तिपूर्वक नोंधेला होय. जेमके २१मुं नाम १६, ४ तथा १ क्रमांकवाळा पत्रकोमां लखेलुं होय, जेनो सरवाळो २१ थशे. पृच्छक ने ३१मांथी गमे ते एक नाम धारी लेवानुं कहेवामां आवे, त्यार बाद क्या क्या पत्रकमां ए नाम छे ते पूछवामां आवे . १, २, ४, ८ अने १६ एवी संख्या ए पत्रको पर बीजाने ध्यानमां न आवे एवी रीते लखेली होय, अथवा तो प्रयोगकर्ताए पत्रकोना रंग के आकारना आधारे मनमां नोंधी राखी होय. जेटला पत्रकोमां धारेलुं नाम हाजर होय तेटलानो मात्र सरवाळो प्रयोगकर्ता मनमां करतो जाय अने जे अंक आवे ते नाम कही आपे. गणितना रहस्यथी अजाण होय तेवा लोको आश्चर्यचकित थाय. प्रस्तुत रचनामां फूलोनां नाम अने तेना आधारे दूहा योज्या होवाथी रमत विशेष रसप्रद बनी रहे छे. जैन संघमां सरस्वती देवी आजे जे रूपे मान्य-पूज्य छे तेवा ज रूपे सरस्वती देवीनुं वर्णन प्राचीन अर्धमागधी भाषाना आगमो तथा अन्य प्राचीन ग्रन्थोमां मळतुं नथी- एवो निष्कर्ष आपतो प्रो. सागरमल जैननो लेख साहित्यिक अने पुरातात्त्विक साक्ष्योना सघन निरीक्षण-परीक्षण पछी लखायो छे. प्राचीन निर्ग्रन्थ परम्परामां देवी-देवताने स्थान न हतुं. जिनवाणीने ज श्रुतदेवता कहीने नमस्कार थतो. समय जतां देवीना स्वरूपनुं तेना पर आरोपण थयुं हशे ने उपासना शरु थई हशे - एवं आ लेखनुं तात्पर्य छे. 'निर्णयप्रभाकर' नामक एक शास्त्रार्थ विषयक ग्रन्थनो परिचय आ अंकमां छे. आमांथी एक आश्चर्यजनक तथ्य आपणने जाणवा मळे छे के श्री झवेरसागरजी महाराज तथा श्री राजेन्द्रसूरि वच्चेना विवादमां निर्णायक तरीके खरतरगच्छीय बे महात्माओ स्वीकृत थया हता. ए समये विवादो अने शास्त्रार्थो सामान्य वस्तु हती, एमां निर्णायक तरीके अजैन विद्वानो पण बेसता. अन्यगच्छीय विद्वान मुनिओने निर्णायक पदे स्थापवानी घटना विरल गणाय. Jain Education International जैन देरासर, नानी खाखर- ३७०४३५, कच्छ, गुजरात For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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