Book Title: Anusandhan 2002 07 SrNo 20
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 39
________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only अनुमान+२ सलीगुरुस्थानमः। शहरवलज्ञानक्रियात्यामोहशतजैनास्तन्नमस्तवाकिस्तघाहिामोहोस्जिीक्स्पो बातेसवनिस्सतुनास्त्यवघरादेश्वितस्पप्रत्यक्षपायपात्नवादअदनुमानंघमालेविरुषचादियो धारावानुमानविरोधोयघाघटस्पनित्पचेसाघेघरस्पतिनित्यचंसाध्यमानमनित्पचसाधनपरि गाभिवसाधकेनवानुमानेनबापतएमदंसवेवापिपिचानुमानस्पविषयःकिंसामान्य विशेषोवा अजयंवास्पातानाधासनिमात्रास्तिचेकम्पावधिलिपपलावनसिमाधानानवतेवियेना विकिंचित्प्रयोजनं पुरुषम्पप्रतिंप्रतिदेशादिविशिष्टपेवामहत्तचातानहितायःअत्रहिविव निदेशादिविशिशवनिरस्तीतिविशेषमाध्यस्तजनयुविवरितदेशादिविाराषमाहितश्पव रिन्दयानावारनहिपर्वतोयवदिमान्धमादित्पाविवक्तितदेादिविशिऐनमाध्यनमहतो रन्वयोस्तितधाविधेनववादिनामधमादयोपनियात्नावितीयावापिहिमामान्पवान् विशेषमाध्यस्तघावविशेषपकातदोषातातऽक्तीविशेषनुगमानावात्।सामान्पमियाधानात तत्तानुपपन्नचादनुमानकधाऊत शतानवागमःप्रमाणपत्रबनाविप्रतिपत्तः यधमागत वषामविगाननसितंयघाप्रत्पावित्वकछविहाजीवापन्नतातोपुटविकाश्याजावतसका 'आत्मसंवाद' - प्रथम पार्नु www.jainelibrary.org

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