Book Title: Anusandhan 2002 07 SrNo 20
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 120
________________ अनुसंधान-२० 115 स्मृतिशेष जैन सिद्धान्तो, मध्यकालीन भाषा अने साहित्य, प्राकृत, अपभ्रंश तथा संस्कृत साहित्य अने भाषा, इतिहास वगेरेना प्रकाण्ड अभ्यासी श्रावक विद्वान् श्रीभंवरलाल नाहटानुं कोलकत्तामां ताजेतरमां (११ फेब्रु. २००२) दुःखद अवसान नीपज्यं होवाना समाचार छे. तेमणे दायकाओ सधी जैन विद्यानी अथाग उपासना करी छे. असंख्य शोधलेखो तो लख्या ज, उपरांत अनेक कृतिओनां संपादन पण कर्यां, अपभ्रंश वगेरे भाषाओमां गद्य-पद्य रचनाओ पण करी, अने अनेक पुस्तको पण लखेल छे. तेमनी चिरविदायथी जैन साहित्यना क्षेत्रने अपूरणीय खोट पडी छे. 'अनुसन्धान' पत्रिका परत्वे तेमण्. ऊंडो सद्भाव दाखव्या को हतो. तेमना आत्माने शांति हो ! Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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