Book Title: Anusandhan 1999 00 SrNo 15
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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अनुसंधान-१५ . 70 हाथें सोवनपाटडी
राणी त्रिशला ओढें घाटडी, घाटडी साव रतन-हीरे जडी ए ॥८॥ . बांहे बांधो नीरली
सखी हाथें सोवनमुद्दी (मुद्रडी) मुद्दी(द्रडी) जोता पोंचे मन रली ए ॥९॥ केडें धसमस फाला रे,
तमे म लड्यो बंधव आडा रे, चढावू रे गयवर जगधणी ए ॥१०॥ खांडे भरीयां खडीयां रे,
सखी माणिक-मोती जडीयां रे, खडीयां रे बालकबुद्धे सांचस्यां ए ॥११॥ आण्या धाणी दालीया,
तमें खाउ सघला निसालीया, नीसालीया वीरवर्द्धमान भेला भणे ए ॥१२॥ ल्यो सखी अखी आणंद,
___ सखी लावें भरी भरी भाणाए माणस रे सहु आवे सोहामणा ए ॥१३|| हाथै लामण दिवो रे,
तमें महावीर घणुं जीवो रे, आसीसो आपे सहीरो मन रली ए ॥१४॥ काम सघलु चीतव्यु,
सखी गयवर काधे जइ महावीर सरस्वती भणवा संचरीया ए ॥१५॥ अध्यारु उठी उभा थया,
सखी दोय कर जोडी आगल रह्या,
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