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अनुसंधान-१५ • 99 के लहियाए मुख-कंठस्थ वाचना आलेखी होय. जे होय ते. पण ते पांचमी पंक्ति (मूळ कडीनी प्रथम त्रण पंक्ति पछी चोथी पंक्ति तरीके) आ प्रमाणे छ :
___ "श्री विजयदेवसुरिंद पटधर श्री विजयसिंहसूरिसरो"
पूरो संभव छे के विजयसिंहसूरि उपर उपा. यशोविजयजीने अनहद प्रीतिभक्ति होवाथी तेमणे स्वयं आ रीते पांच पंक्ति आलेखी होय, अने पछी पाछळना लोकोए ४ पंक्तिना मेळनो आग्रह राखी एक पंक्ति दूर करी दीधी होय.
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