Book Title: Anekant 1997 Book 50 Ank 01 to 04
Author(s): Padmachandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 4
________________ वर्ष ५० अनेकान्त वीर सेवा मंदिर, २१ दरियागंज, नई दिल्ली-२ वी.नि.सं. २५२२ वि.सं. २०५४ जनवरी-मार्च किरण-१ ૧૬૭ मुनिवर-स्तुति कबधौं मिलैं मोहिं श्रीगुरु मुनिवर, करिहैं भवोदधि पारा हो भोग उदास जोग जिन लीनो, छांड़ि परिग्रह भारा हो। इन्द्रिय-दमन नमन मद कीनो, विषय कषाय निवारा हो।। कंचन-कांच बराबर जिनके, निन्दक बंदक सारा हो। दुर्धर-तप तिय सम्यक् निज घर, मन-वच-तन कर धारा हो।। ग्रीषम गिरि हिम सरिता तीरें, पावस तरुतल ठारा हो। करुणा भीज,चीन त्रसथावर, ईर्यापंथ समारा हो।। मार मार व्रतधार शील दृढ़, मोह महाबल टारा हो। मास छमास उपास, बास बन प्रासुक करत अहारा हो।। आरत रौद्र लेश नहिं जिनकें, धरम शुकल चित धारा हो। ध्यानारूढ़ गूढ़ निज आतम, शुध उपयोग विचारा हो।। आप तरहिं औरन को तारहिं, भवजलसिंधु अपारा हो। 'दौलत' ऐसे जैन जतिन को, नितप्रति धोक हमारा हो।।

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