Book Title: Anekant 1964 Book 17 Ank 01 to 06 Author(s): A N Upadhye Publisher: Veer Seva Mandir Trust View full book textPage 3
________________ विषय-सूची अनेकान्त के ग्राहकों से अनेकान्त के १७ में वर्ष का वार्षिक मूल्य जिन पृष्ठ अधिकांश ग्राहकों का प्राप्त नहीं हमा, उन्हें चाहिये शान्तिनाथस्तोत्रम्-पनवाचार्य कि अनेकान्त का प्रथमांक पहुँचते ही पेशगी मूल्य छह २ नया मन्दिर धर्मपुरा दिल्ली के जैन मूर्ति लेख रूपया मनीग्राडर से भिजवा कर अनुग्रहीत करें। -परमानन्द शास्त्री २ मूल्य प्राप्त न होने पर अगला अंक वी. पी. से भेजा ३ ध्यान -डा. कमलचन्द्र पौगाणी ३ जावेगा। आशा है प्रेमी महानुभाव इस निवेदन पर कावड़: एक चलता फिरता मन्दिर ध्यान देंगे, और अपना मूल्य निम्न पते पर भिजवा -महेन्द्र भनावर ७ ने की कृपाकरें। ५ कविवर रइधू रचित-मावय चरिउ व्यवस्थापक अनेकान्त ---श्री अगरचन्द नाहट' १० वीर सेवामंदिर २१ दरियागज दिल्ली ६ भगवान महावीर के जीवन प्रसंग -मुनि श्री महेन्द्रकुमार जी प्रथम १७ • महावीर का गृह-त्याग-कस्तूरचन्द कापलोवाल १९| सहायता प्राचार्य भावसेन के प्रमाण विषयक विशिष्ट मत ला० प्रद्य म्नकुमार नरेशचन्द्रजी जैन पानीपत डा. विद्याधर जोहरापुरकर २३ | ने बाबु जयभगवान जी एडवोकेट पानीपत के है दिग्विजय (ऐतिहासिक उपन्यास) स्वर्गवास के समय निकाले हए दान में से इक्कीस - प्रानन्दप्रकाश जैन-जम्बूप्रसाद नैन २५ | रूपया सधन्यवाद प्राप्त हए। १. सर्वोदय का अर्थ-विनोबा भावे / प्रेमचन्द जैन " जैन ग्रन्थ प्रशस्ति-संग्रह पर मेरा अभिमत सं० मंत्री, वीर सेवा मन्दिर -दरबालील कोठिया । १२ नन्दिसंघ बलात्कारगण पट्टावली ... ' -परमानन्द शास्त्री ३५ दानी महोदयों से निवेदन १३ शान्ति और सौम्यता का तीर्थ कुण्डलपुर जो धर्मात्मा सज्जन धार्मिक कार्यों में दान देते रहे हैं -श्री नीरज जैन ४३ | वे दान देते समय अनेकान्त पत्र और वीर-सेवा-मन्दिर १४ पाकस्मिक वियोग लायरी को न भूलें, इन्हें भी अपना आर्थिक सहयोग १५ बा. जयभगवान के निधन पर कुछ पत्र प्रदान कर पुण्य व यश के भागी बनें । अनेकान्त के स्वयं १६ समर्पण (कविता) बा. जयभगवान जी सहायक बन कर और अपने मित्रों को बना कर, तथा १. साहित्य-समीक्षा ४८ स्वयं ग्राहक बन कर और प्रेरणा द्वारा दूसरों को बना कर जैन संस्कृति के अभ्युत्थान में सहयोग प्रदान करें। म्यवस्थापक 'अनेकान्त' सम्पादक-मण्डल डा. आ. ने० उपाध्ये डा. प्रेमसागर जैन श्री यशपाल जैन अनेकान्त का वार्षिक मूल्य ६) रुपये एक किरण का मूल्य १ रुपया २५ न. पै. अनेकान्त में प्रकाशित विचारों के लिये सम्पादफ मंउल | उत्तरदायी नहीं है।Page Navigation
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