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हमारी तीर्थयात्राके संस्मरण
(गत किरण १ से आगे) सोनिजी का परिवार एक धार्मिक परिवार है उन्होंने हैं। यहांके युवकोंकी रणासे मुख्तार साहब को मुझे समय समय पर अपनी कमाईका सदुपयोग किया और पं० बाबूलालजी जमादार को ठहरना पड़ा। है विद्वानोंका समादर करते हैं संयम और त्याग शामको चार बजेके करीब हम लोग किरायेकी एक मार्गका अनुसरण करते रहते हैं। सोनिजी स्वयं एक टैक्सी में यहाँसे हिन्दुओंके तीर्थस्थान पुष्कर देखने गए धर्मनिष्ठ व्यक्ति हैं । और गृहस्थोचित षट्कर्मोका जो अजमेरसे ७ मीलकी दूरी पर अवस्थित है । रास्ता यथेष्टरीत्या पालन करते हैं।
पहाड़ी और सावधानीसे चलनेका है; चलते समय दृश्य २ नसिया गोधाजीकी, ३ नसिया बड़ा धड़ाकी, ४ बड़ा ही सुहावना प्रतीत होता है। जहाँ ब्रह्माजीका मंदिर नसिया छोटा धड़ाकी, ५ नसिया नया धड़ाकी । इन पांचों सुन्दर है। वहां भगवान महावीर स्वामीकी विशाल मूर्तिनसियोंमें दो व्यक्तिगत हैं और तीन नसिया तीन विभिन्न का दर्शनकर चित्तमें बड़ी प्रसन्नता हुई। पुष्करमें सन् धड़ोंकी हैं जो उनके नामोंसे प्रसिद्ध हैं। जिनसे स्पष्ट प्रतीत १६२. में मस्तक रहित एक दिगम्बर जैन मूर्तिका अवशेष होता है कि अजमेरके जैनियोंमें किसी समय फिरकावन्दी मिला था जिसके लेखसे स्पष्ट है कि वह सं० ११६५ में रही है। शान्तिपुरा मन्दिरजी, दौलतबागसे क्रश्चिय- प्राचार्य गोतानन्दीके शिष्य पंडित गुणचन्द्र द्वारा प्रतिन गंजमें है। ये सब धार्मिक स्थान सेठजीकी धर्मशाला से ठित हई थी। कार्तिकके महीने में यहाँ मेला भरता है । दो फागकी दूरी पर हैं। धर्मशाला मुहल्ला सरावगी ३ पुष्करकी सीमाके भीतर कोई जीव हिंसा नहीं कर सकता। फल गकी दूरी पर है, और शान्तिपुराका वह मन्दिर इन पुष्करसे वापिस आकर हम लोगोंने हीराचन्द्रजी बोहराके धर्मशालाओंसे डेढ़ मील दूर है। ७ तेरहपंथी बड़ा मंदिर यहाँ भोजन किया। रात्रिको सेठजीकी नसियांमें सेठ जी, सरावगी मुहल्ले में, खजांचीकी गली में है भागचंद्रजी की अध्यक्षतामें एक सभा हुई जिसमें मुख्तार सेठजीका नया चैत्यालय-मन्दिरके सामने ।
साहब बाबूलाल जमादार और मेरा भाषण हुआ। इसके .. ६ चैत्यालय पिंकरियोंका, १० मन्दिरजी नयाधड़ा, बाद केशरगंज होते हुए हमलोग कार द्वारा रातको ११ मन्दिर गोधाजीका, १२ पद्मावती मन्दिर, १३ बड़ा १ बजे व्यावर पहुँचे । मन्दिरजी, १४ छोटा धड़ा मन्दिरजी सरावगी मुहल्लेमें व्यावरमें हम लोग ला० बसन्तलालजीके मकानमें धीपड़ीकी ओर जाते हुये सामने । १५ गोधा गुवाड़ी ठहरे, उन्होंने पहलेसे ही हम लोगोंके ठहरनेकी म्यवस्था मन्दिर लाल बाजार में है, जिसमें सरावगी मुहल्लेसे कर रक्खी थी । ला• बसन्तलालजी ला फिरोजीलालजी अजमेरी धड़ागलीमें होकर जाना होता है दो फागकी और लाला राजकृष्णजीके देहली भतीजे हैं। वे बड़े ही दूरी पर अवस्थित है। १६ उतार घसेटी मन्दिरजी, मिलनसार और सज्जन हैं। उन्होंने सबका आतिथ्य किया १७ डिग्गीका मन्दिर, इसमें उक्त घसेटो मुहल्ले से जाना और भोजनादिकी सब व्यवस्था की । व्यावरका स्थान होता है।
श्राब हवाकी दृष्टिसे अच्छा है। परन्तु गर्मी के दिनोंमें यहां केसरगंज-धर्मशालासे ४-५ फलौंगकी दरी पर पानीकी दिक्कत रहती है। नशियांजीके शान्त वातावरण में स्टेशन रोड पर मटिन्डल पुलके सामने गली में अवस्थित
व्रती त्यागियोंके ठहरनेका अच्छा सुभीता है। प्रतःकाल है। 15 पल्ली वालोंका मन्दिर केसरगंजके मंदिरके
होते ही नैमित्तिक क्रियाओंसे निवृत होकर स्वर्गीय सेठ समीप तीनमंजिले मकान पर स्थित है।
चम्पालालजी रानी वालोंकी नशियांजीमें दर्शन किये, और वीरसेवामन्दिरके अधिष्ठाता प्राचार्य जुगलकिशोरजी संवत् ११६५ श्रागण (अगहन) सुदी ३ प्राचार्य से स्थानीय प्रायः सभी सजन मिलनेके लिए आए । यहाँ गोतानन्दी शिष्य पंडित गुणचन्द्रेण शान्तिनाथ प्रतिमा प्रमुख कार्यकर्ता हीराचन्द्रजी बोहरा सेठ सा. के सेक्रेटरी कारिता ।
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