Book Title: Anandadidas Uvasagkathao Author(s): Amrut Patel Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 9
________________ जून २००९ अब्भुट्टिऊण जिणनाहसविहमागम्म नमिय पयकमलं । विणएण पंजलिउडो विन्नविउमेवमाढत्तो ॥ ६२ ॥ | भयवं ! जह तुह पासे राईसरमाइया बहू लोया । तणमिव पडग्गलग्गं नियगेहं सिरिं परिच (च्च) च्चा ॥ ६३॥ पडिवन्ना पव्वज्जं न समत्थो हं तहा तिजगनाह ! | ता पसिऊणं सावय-वयाइमारावे (व) सु ममं ॥ ६४ ॥ तो भइ जिणवरिंदो आणंद अमियमहुरवाणीए । देवाणुपिया ! तुमए, नो पडिबंधो विहेयव्वो ||६५ || तो आणंदो पढमे जावज्जीवाए दुविहतिविहेण । थूलगपाणाइवायं पच्चक्खर जिणवरसमीवे ॥६६॥ थूलं च मुसावायं पच्चक्खइ दुविह- तिविहं जाजीवं । एवमदत्तं थूलं दुविहं तिविहेण जाजीवं ॥ ६७॥ सिवनंदं मोत्तूणं उराल - वेउब्वियाओ इत्थीओ । जावज्जीवं वज्जे दुविहं तिविहेण सुद्धमणो ॥६८॥ परिगहपरिमाणम्मि निहिम्मि वुड्ढीए वित्थरेसुं च । पत्तेयं पत्तेयं कोडिचउकं हिरण्णस्स ॥६९॥ दस गो- साहस्सिय- वयचउक्कपरओ चउप्पयं नियमे । खित्तम्मि पंचहलसय चत्तूण य सेस नियमे ( ? ) ||७० || दिसिजत्तियाण सगडाण तह संवाहणियाण पंचसया । परओ सगडविहिम्मि पच्चक्खाणं अहं काहं ॥ ७१ ॥ | दिसिजत्तियाण पोयाण तह संवहणियाण चउन्हं परओ पोयविहिं पि हु पच्चक्खे जावजीवमहं ॥७२॥ मुत्तूण गंधकासाइयं वत्थाई मज्जणनिमित्तं । सेसं उवभोगवर वज्जे अंगाई (इ) लूहणयं ॥ ७३ ॥ अल्लमहुलट्ठिदंत-वणयं च मह एगमेव मुक्कलयं । खीरामलयं एगं फलविहिमज्झम्मि जाजीवं ॥७४॥ तिल्लं सयपाग - सहस्सपागमभंगणे महं होउ । गंधट्टयं च एगं सुरहिं उव्वट्टणविहीए ॥७५॥ अट्ठहिं उट्टि घडएहिं मज्जण सेसयं तु पच्चक्खे | वत्थम्म खोमजुयलं मुत्तुं सेसं परिहरामि ॥७६॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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