Book Title: Anandadidas Uvasagkathao
Author(s): Amrut Patel
Publisher: ZZ_Anusandhan
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जून २००९
अह तिपयाहिणपुव्वं नमंसिउं जिणवरं महावीरं । उवविट्ठा सट्ठाणे कयंजली नर-सुराईया ॥२८०।। भयवं पि साहु-सावयधम्म परिकहइ महुरवाणीए । गिण्हइ य महासयगो सावयधम्मं पहट्ठमणो ॥२८१।। तह परिग्गहपरिमाणं गिण्हइ सो जिणवरिंदपासम्मि । निहि-वुड्ढि-वित्थरेसुं पत्तेयं अट्ठकोडीओ ॥२८२।। अट्ठ वया दससहस्सा सेसाण चउप्पयाण मह नियमो । दुपए तेरस भज्जा तासिं च परिग्गहे जयणा ॥२८३।। रेवइपमुह-सभज्जासेसम्मि मेहुणविहिं परिहरामि । आहारभूसणाई आणंदगमेण विन्नेयं ॥२८४|| दोणदुगपमाणाए हिरण्णभरियाए कंसपाईए । कल्लाकल्लिं कप्पइ ववहरिउं तदुवरि नियमो ॥२८५।। अह अन्नया कयाइं, संचिंतइ रेवई रयणिविरमे । मणवंछिओ न जायइ मह संभोगो वि दइएण |२८६॥ बारसाहिं सवत्तीहि वाघाएणं तओ य मह जुत्तं । हणिउं ससवत्तीओ सत्थ-ऽग्गि-विसप्पओगेणं ॥२८७।। तत्तो छ सवत्तीओ विसेण छच्चेव सत्थघाएणं । अइकूरऽज्झवसाया पन्त(व्व)त्ता रेवई हणिउं ।।२८८।। तासिं दुवालसण्हं हिरन्नकोडी दुवालस वयाइं । कोलघरिअए अहिठइ सव्वासिं रेवइ व्व तओ ॥२८९।। वग्यायविरहिया सा भुंजइ नियभत्तुणा समं भोए । महु-भज्ज-मंसमाईसु गिद्धा अइनिग्घिणा जाता ॥२९०।। अह अन्नया कयाई नयरम्मि अमारिघोसणे विहिए । कोलघरपुरिसेहिं पइदियह गोणपोथदुगं ॥२९१|| तत्थेवुद्दवा(व्वा)विय आणाविय नियघरम्मि पच्छन्नं । महु-मज्ज-मसमाई आहारंती गमइ कालं ॥२९२।। भत्ता जाणतो वि हु तीए सरूवं जहट्ठियं सव्वं । आणाबलाभिओगो भणिओ न जिणेहिं धम्मम्मि ।।२९३॥ तो नो बलाभिओगा न वारइ न य देइ तीए उवएसं । अज्जोग्गयं मुणंतो उविक्खए तं महापावं ॥२९४||
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