Book Title: Anandadidas Uvasagkathao
Author(s): Amrut Patel
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 16
________________ १६ पडिमापडिवन्नस्स य देवागमणं च पुत्ततियगस्स । सत्तेव मंससोल्ले काउं रुहिरेण सिंचेइ ॥ १५७॥ तं अक्खुभियं नाउं भणइ सुरो त (तु) ह हिरन्नकोडीओ गिण्हेउं छ इमाओ निही बुड्ढी वित्थराओ अहं ॥ १५८ ॥ आलभिया सिंघाडग- चाउक्क-तिय- चच्चरेसुं सव्वत्थ । विप्पइरिस्समहं खलु खुभियं संबोहइ भज्जा ॥१५९॥ सावयपरियायं सो परिवालेऊण वीस वासाई । काऊण मासमेगं पज्जेते अणसणं विहिणा ॥ १६० ॥ सोहम्मे चउपलिओ रुणसिठविमाणअहिवई देवो । होउं महाविदेहे सिज्झिस्सइ खीणकम्ममलो ॥१६१ ॥ इति चुल्लशतकश्रावककथा || || ५| ६ - [ सिरिकुंडकोलियसावयकहाणयं ] अनुसन्धान ४८ पंचाला कंपिल्लं जियसत्तू, कुंडकोलिय कुटुंबी । पूसा य तस्स भज्जा, सहसंबवणं च उज्जाणं ॥ १६२॥ कोडीओ हिरन्नस्स य छच्च निही - वुड्ढी - वित्थरेसु कमा । छच्च वया जिणपासे सावयधम्मस्स पडिवती ॥ १६३॥ अह अन्नया य पच्चा - वरण्हसमए असोगवणियाए । पुढविसिलाए नामा[म]मुद्दे तह उत्तरिज्जं च ॥१६४॥ ठविडं वीरभयवओ उवसंपज्जित्तु धम्मपन्नत्तिं । जा चिट्ठइ ज्झाणपरो ता चेगो एइ एत्थ सुरो ॥ १६५ ॥ पुढविसिलापट्टाओ नाममुद्दोत्तरिज्जए गहिउं । आगासे ठिओ सो कुंडकोलियं भणिउमाढत्तो ॥ १६६ ॥ पवरा गोसालस्स य मंखलिपुत्तस्स धम्मपन्नत्ती । जम्हा नो उट्ठाणं कम्मं बलं वीरियं वा वि ॥१६७॥ नो पुरिसक्कार - परक्कम्मस्स जोगो वि वट्टए को वि । तह सव्वे विहु भावा नियमा जं वन्निया एत्थ ॥ १६८ ॥ समणस्स भगवओ पुण वीरस्स न चारु धम्मपन्नत्ती । जम्हा पुण उट्ठाणाई संति इहं अनियया भावा ॥ १६९ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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