Book Title: Amrutsagar Vaidyak Granth
Author(s): Sawai Pratapsinh Maharaj
Publisher: Gyansagar Press

View full book text
Previous | Next

Page 5
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कल्कनाम.सूषी अथवा पालीपोषदले रसिलालोर दीकरैसो. और कल्कको प्रमागतोला तारछे.जीमेंस न, तेल, इत्यादिघालणाहोयतो,डगणाघाला,ओर ॥ बरोबर घाला,ओरचूर्णकरगोसो,अत्यंतसूषी कर संदर कूरकर कपर छाए करणीजीने पूर्ण कहिजे. मनुष्यनेमासा सुलेर तोला १ ताईदेगो.बालको लेरमासा तीनपर्यंत नारतम्यदेषकरदेगी, मे यो होयतोसमानउजनघालों,मिश्रीतोगपी.हिं कर घालणी,घृतादिकतोदुगगो, पाणीतोचूर्णसंचो जे. पालीकासाथचूर्णकी ओषधपेटमैं पसरकर यक्ष चूने कोरबीरसकी भावना तथा पुटदेगों हो तरांतर होय जठाताई देगो. जोयहोषोंछैसो. देस, काल,प्रकृति, वय, अग्नि, पल, इत्यादि विचार कर देगा. स्नेहपाका कल्कसं. चौगुषोनेल. अथवा घृतलेकर जीतत सो चौगुणो पापी था और पदार्थथालकर सो तेल तथा घृतमात्र बाकारहे जैगताई पाका छै बो घृत. तथा तेल कपडासु डाग लेपो.जीने त्रा तोला चार देगी.पछै तो औषधको सभार र देगी. - For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 ... 590