Book Title: Amrutsagar Vaidyak Granth
Author(s): Sawai Pratapsinh Maharaj
Publisher: Gyansagar Press
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अमृतसागरतथाप्रतापसागरतरंग
रजैसे उनावलाञ्चरफदकताचाले तैसेंपित्तकीनाडी उतावली अरफदकतीचाल है जैसेंराजहंसच्चर बनकरमीरकबूतरक मेडी कूकडोनीनेंत्र्यादिलेरयेजिनावरमंद चालै छै तैसें कफकी ना डीमंदवाले अरवारंवारसांपकीसीगनिचाले वारंवार मडकाका सीगतिचाले सोवानाडीवातपित्तकीजाणिजे अरसर्पकीसीश्वर हंसकीसी गतिहोयनाडीनें वायकफकीकहिजे अरवांनराकी सीमीडकाकीसीहंसकीसी चालचालैतींनाडीनों पत्तकफकीकह जै अरजेसें पानी चिडोकाष्टनैकूरे अतिवेगसूं नैसेहींपुरुषकी नाडीचाले अरवाहीनाडीचालीबासेंरहजाय अरोरुंचालबा लागिजाय वानाडीसन्निपातकीजाणिजे परमंदमंदबांकीबांकी व्याकुलव्याकुलहोय स्थिरस्थिर होयवाधमनीनाडीजीकीचाल सोवानाडीसूक्ष्क्षा हुईथकींपुरषनैमारे सोवानाडीसन्निपातकी जाणिजे जी पुरुषकैज्वरकोकोपहोय तीकीधमनीनाडीउन्ही रउतावलीघणीचाले अरजीरोगी की नाडीइकसारसीध्यापका स्थानमें चालैसोरोगी मरेनहीं अरकामातुरपुरसकीनाडीउत्ता वलीचले क्रोधीपुरषकी नाडी उतावलीचा चिंतावानपुरसकी नाडी क्षीणचले कहींनरैपुर सडोहोयतींकीनाडीमहा क्षीणचाले परमंदजीकी अग्नीहोय रक्षीणजी की धातहोय तीपुरषकीनाडीमहामंदचलै अरलोहीकाविकारवालापुरसकीनाड़ीक्यूंयेकगरम हुईथकीभारीचले अरजीपुरसकापेटमैं
बहोयत पुरसकीनाडीनिपटभारीचले जीपुरसर्ने भूषवली लागीहोयती पुरसकीनाडी हलकीरउतावलीचाले अरजीपुर सभोजन वस्योहोयती पुरसकीनाडीधीरीचाले जींपुरसकैपल
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