Book Title: Amrutsagar Vaidyak Granth
Author(s): Sawai Pratapsinh Maharaj
Publisher: Gyansagar Press
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अमृत सागरतथाप्रताप सागरतरंग कोपानहुवा होयतीपुरसकी नाडीघली उतावली चलै सुखीपुरसकी नाडीधीरीमरबलवानचले औरनाडी की परिक्षातोघर प्रकारसुं
सोबुवानवैद्य होय सोच्यापणी बुद्धिसंनाड़ीकी परिक्षाशरीरका सुखदुःखकोज्ञान सर्वविचारिलीज्यो जैसैंजो 11 कुंजोगका अभ्या सकरिकेंब्रह्मकोसारख्यान ज्ञान होयछे तैसेंसदवैद्यकुंनाडिकाच्य भ्यासक रिकेसरिरकांसर्वरोगांको परसर्वसुखादिकांकोज्ञान होय है इतिनाडि परिक्षासंपूर्णम् अथमूत्रपरिक्षालिष्यते वैद्य हैसोचारिघडी केलडकेरोगीनउठाय काचकारूपेदवासांमें च थनाकांसी का पात्र सुताचे पाछेवे वासगर्नैवस्त्रसूंढां किराये सूर्यो 'दयदुवा पाछेवैद्यवेंकीपरिक्षा करे बैंरोगीकोमूत्रपाणी सीरीसोहो य लुषोहोयभ्रघएणेहोय मरक्यूंनीलोभीहोयतोवायकाविकार कोमूत्रजांणजे सूत्रकोलालक संभा सिरीसोरंग होय रंग रमउत्तरे अथवा पीलो के सूल्य कारंगसिरीसोरंगउत्तरे रथीडो उत्तरे तोगसीकाञ्जार कोमूत्रजाणिजे भरवेंरोगी कोजाडोय रसुवेदव्यरची कोगूनउत्तरेतीक फकाच्याजार कोमूत्रजाणिजे अरोच्यारिघटिकातडका कोरोगी को मून नावडेमेलिघडीच्या रिपाछे मूत्रपरिवैद्यहैजोक पडासे तीतेलकी बूंदना है बातेल की बूंदमूनउपरिलिजायतोनोरोगीसाध्यजाणिजे परयोरो गीगोमो होई अरव नेक की बूंदमूंनउपरि फैलैनहीं चरस्थि रहोयर हैनोरोगीकष्टसाध्यजाणिजे अरवातेल कीबुदरोगीका सूतमेंडूविजाय अथवा चाक की सीनाई भ्रमणलागिजायनोप्रो रोगानिश्चैमरे पर बेरोगाकामुतमेतेल की बूंदावतां बूंदमेवेद्र पडियाय अथवा येचिन्हहोजाय पडग केव्याकार वादंडकेचा
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