Book Title: Amrutsagar Vaidyak Granth
Author(s): Sawai Pratapsinh Maharaj
Publisher: Gyansagar Press
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६. अमृतसागरनथाप्रतापसागरतरंग प्रथसपनपरिक्षालिष्यते रोगानेसासपनांशावैताग्राख्यान ही रोगानेसपनामेंनांगायरमुंडित अरलालभरकालावस्त्रपह खांथकामादमादीषेअरनका अरबूचा अरकाला अरआयुध नेलीयांथका अरफांसीनेलीयांथकां मारताथकादीषनोनोरोगी असाध्यजापाजे परमेसाउपरउंटगधाउपरचव्यादक्षिणदिसा नेजाना सुपनामेंदेपैनोप्रारोगीबाछोनहीं अरउंचासनाचेपड़े जल,मूविजाय अग्निमेवलजाय सिंहनेबादिलेरनैषातोही य दीवानेबूमनोरेषेनेलदारुपीचनो लोहनेंलेनोरं पक्का ननेषावतोजाय कुवामैपडतोजाय इसारूपनारोगीनेावेतो रोगीकोअसाध्यजाणिजे अरईनेत्रादिलेरइसासपनांकाईदेषे तो कहींनेकहर्जनहींअरपरभानहीभम्मादिककोस्नानकरैवेंसु पनामाफिकहोगदानपाठनेपादिलेकरिदिजैनोसपनाकोदोस दूरिहोय अररोगानेसासपनाश्रावतोपाछासुपनामेंदेवतारा जा जाचक मित्र ब्राह्मए गर अग्नि तीर्थदेषैतोपोरोगावेगोत्रा छोहोय अरसुपनामैकादानेतिरजाय वेश्यानेजीतेगहल रथ प वन उपरचनोबोरोगीचेगोग्राछोहोय सपनामसपेदवास पेदपुष्पधारे अरमांस मीन फल यांनषायतोपोरोगीवेगोनालों होय अरसपनामैअगम्यागमनकरेअरसरारकै विष्टकोलेपकरे अररोवै अरापकीमृत्यदेषैभरकाचोमांसपायसपनामेंतोश्रो सेगीवेगेनाछोहोय अरजोक सांपोंरामांषसुपनामैजीनेयेकाटे मोरोगावेगोनाडोहोय येसुपनामाछाबादमानें भीमानोवैनेंभासमजाणिजे इतिसपनपरिक्षासंपूर्णम् अथदूतपरिक्षा लिणते वैद्यकाबुलावावासडून जैसोकांगोषोडोनकराने
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