Book Title: Amrutsagar Vaidyak Granth
Author(s): Sawai Pratapsinh Maharaj
Publisher: Gyansagar Press
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५ अमृनसागरनथापनापसागरतरंग १ कार गाधनुषकेश्राकार तेलकीबूंदहोजायतो पोरोगीनिश्मरेत्र ररोगीकामूतउपरिनेलकीबूंदतलावाकारहोजाय अथवा हंसकेाकारहोई अथवापाकेाकारहोय अथवा हाथीकेा कारहोय अथवा छत्रकेाकारहोय अथवाचमरकेतोरगया कारतेलकाबूंदहोयतो अोरोगीताजोहोय अरसरस्यूंकातेलसिरी सोजीकोमूतहोय नाचायपित्तकोरोगजाणिजे अरकालोअर दबुदानेलीयांजीकोमूतहोइतीसन्निपातकोअजारजाणिजे रमूननांजीरोगाधारलालजरैसोदीर्घरोगजारिजे मूतनांजी कीधारकालीउत्तरेसोरोगीमरिजाय अरजीकामूतमेबकरीकामू नसरीसीवासभाताकैअजार्गकोाजारजारिजेजीकोमूतगर मअरलाल अथवा केसरिसिरीसोपालोजाको नहोय नीकेवर कोबाजारजालिजे अरजीकैकवाकापालासरीषोमूनउत्तरेतीपु रुपनेनैरोग्यजालिजे इतिमूत्रपरिक्षासंपूर्णम् अररोगांकोष हवालवाँकाप्रसंगमेंकहस्यों अथरोगाकापरिक्षालिष्यते से गाकीपरीक्षाअननाप्रकारसँहोय. देषवासेस्पर्शकस्याँसेंबर भिवासें अरस्वमसेंइतसे अरसकुनसें अरकालज्ञानसैं अरोष धदेसकाल अवस्था अग्निबलकाविचारसें अरसाध्यप्रसाध्यसें। ननाप्रकारसंरोगानीपरिक्षाकरिजेसोअनुकमसैलिषांछां पी त्यानेआदिलेरकेईकरोगनोरोगानेदेष्याथकाहीवैद्यनैग्यानहोय छै अरज्वरनेत्रादिलेरकेइकरोगरोगीनेस्पर्शकस्याविना वैद्यनेन हाज्ञानहायछे अस्सदरमूल पाचशल मस्तगपीडाववासीर उपदं स सजाप होलदिल अरभूतादिककोलागियो प्रमेहनेंपादिलेरके इकरोगरोगानेबुग्यांपिनांद्यनेंरोगकोयथार्थग्यांननहीं होयछे
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