Book Title: Amrutsagar Vaidyak Granth Author(s): Sawai Pratapsinh Maharaj Publisher: Gyansagar Press View full book textPage 8
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री श्रीगणेशायनमः॥ अमृतसागर नथा भतापसागर नरंगालामारंभः अथश्रीमन्महाराजाधिराजमहाराजराजराजेंद्रगहाराजासवाई प्रतापसिंघजीविचारकरिमनुष्यांकारोगांकारिकरवाकैवारपर मकरुणाकरिकेंचरकसुनवायादृक्षावप्रकाशाचेयादि लेकरिवैद्यककासयंयानेषिचारिकरियांकोसारिकाढिअनिसं क्षेपतेसर्वरोगांकोनिदानपूर्वकअमृतसागरनामग्रंथकरयों नाकी वचनिकाकरिश्रोषद्यांकाअनेकप्रकारकाअजमायाअजमायाज तनविचारपूर्वकलिषजेंहें अथप्रथमरोगविचारः रोगकह जैकहा बहींनरेंकीपाडाहोपनीनेरोगकहजेसोरोगदोयप्रकारको छै एकनोकायक दूसरोमानस कायामेरहेसोकायक तिनकोनाचव्याधिछे मनमैरहँसोमानस तीरोगकोनांवाधिछे सोयेंदोन्योंवा यपित्तकफरूपहोयसरीरमेंकहींतरेकाकुपथकरिकें मिथ्याप्रहार अरमिथ्याविहारकावसथकीकोपकुंभाप्तहवाथकासर्वरोगांनैसुप जविछे अरएबातपित्तकफकहानरेंकाकुपथ्यसेविगयाथकादेह कृविगाडै राम्हीग्राछीतरहपथ्यकांसेपाथका आछपाहुवा थकासर्वदेहउंपूष्टकरेछै अयप्रथमसर्चरोगांकीअरसर्चरो ग्यांकापरिचालिपांडो प्रथमरोगांका परीक्षातोअननांप्रकारसं होयछ नाडीपरीक्षा मूत्रपरिक्षा २ अररोगकाअहवालरों ३सोरो गीकापरिक्षानानप्रकारकाडै अररोगांकानीदानसें निदानकहिये अहवाल यांनीन्यांप्रकारसेनीरोग्यांकोग्यानहोय? अथप्रथम नाडापरिक्षालिष्यने पुरपरोगीहोयतीकातोजावांहाथका For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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