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अकाल की रेखाएँ | 17 परन्तु चन्द्रगुप्त के अत्यधिक आग्रह करने पर भद्रबाहु ने उन्हें अपने पास रुकने की स्वीकृति दे दी।
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परन्तु घनघोर जङ्गल में श्रावकों का अभाव होने से चन्द्रगुप्त भोजन बिना रहे तो एक दिन...
वत्स! निराहार रहना उचित नहीं, अतः वन में ही सही, तुम आहारचर्या
के लिए अवश्य जाओ।
गुरु आज्ञा से चन्द्रगुप्त आहार के लिए वन में गये।
वनदेवी ने गुरुभक्त चन्द्रगुप्त के निर्मल
आचार-विचार की परीक्षा करने के उद्देश्य से अदृश्य होकर आहार की
व्यवस्था की।
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