Book Title: Akaal ki Rekhaein
Author(s): Pawan Jain
Publisher: Garima Creations

View full book text
Previous | Next

Page 26
________________ अकाल की रेखाएँ | 24 | यहाँ विराजमान चन्द्रगुप्त मुनि ने विशाखाचार्य की वन्दना की। । यहाँ तो श्रावक भी नहीं है, तब यह साधु कैसे रहा? अवश्य ही भ्रष्ट है, अतः प्रतिवन्दना के योग्य नहीं। अतः श्रावकों का अभाव जानकर मुनिसंघ उपवास करने लगा तो चन्द्रगुप्त मुनि बोले - आचार्यवर ! यहाँ पास में बहुत बड़ा शहर है, वहाँ श्रावकों के यहाँ > आहारचर्या हो जाएगी। 066 यह सुनकर सभी साधु आश्चर्यचकित हुए... |...और आहारचर्या के लिए गये। योग्यविधि से सभी साधुओं का आहार हुआ। लेकिन... -

Loading...

Page Navigation
1 ... 24 25 26 27 28 29 30 31 32