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अकाल की रेखाएँ | 23 तब पुनः गृहस्थजन दुःखी होकर आये।
(ठीक है आपात्काल में धर्म में गुरुदेव! आप हमारे यहाँ घरों में आते समय छोटी
शिथिलता हो ही जाती है। सी लंगोट बाँध लिया करें। ताकि...
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और इस तरह साधु धीरे-धीरे बस्ता-बर्तन-डण्डा आदि परिग्रह भी रखने लगे।
बारह वर्ष समाप्त होने पर उधर दक्षिण गये विशाखाचार्य उत्तर भारत को लौटने लगे तो रास्ते में भद्रबाहु की समाधिस्थल श्रवणबेलगोला गये।
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