Book Title: Ajitnath Vandanavali
Author(s): Dharnendrasagar
Publisher: Simandharswami Jain Mandir Khatu Mehsana

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Page 77
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७५ ( सिंहोद्धतावृत्तम् ।) इक्ष्वाकुवंशावेशदामरमार्गदरं व्यूढोदयप्रवरवमनिसार्थवाहम् । त्रैलोक्यवर्णसरसोरुहघस्ररत्न मीडे जिताहितसताजितनाथसंज्ञम् ॥१॥ सामान्यमानवसुधामहमत्तपीलु लोभाशुगाशनविकल्पनभूरिकायम् । वंशाभिमानमृगनाथगजक्रमं च ईडे जिताहितसुताजितनाथसंज्ञम् ॥२॥ ऐश्वर्य मानगहनेवरगन्धवाह शौर्याभिमानचिकिलात्ययसूर्यातापम् । रूपस्मयाब्धिदयितापतिवाडवाग्निमीडे जिताहितसुताजितनाथसंज्ञम् ॥३॥ नून तपोमदमहावसतीनभोग शास्त्रोत्कटस्मयगदात्ययजा:कारम । नाशीकृताखलभवाब्धिनिदानमानमीडे जिताहितगुताजितनाथसंज्ञम् ॥४॥ धत्तम्बततिपेटकनूतनाब्द गाचप्रमाणधनुसार्द्धचतुःशतोच्छ्रम् ।। श्रीवत्सलांछितभुजान्तरमत्ररेजईडे जिताहितसुताजितनाथसंज्ञम् ॥५।। For Private And Personal Use Only

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