Book Title: Agam Suttani Satikam Part 17 Nishitha
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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उद्देशक : २०, मूलं - १३८१, [भा. ६४४९ ]
३८३
चू- असीयाओ सयाओ एया ठवणारोवणाओ सोहेत्ता सेसस्स पंचहिं भागो, भागलद्धा बत्तीसं मासा, आरोवणा एक्काओ मासाओ निप्फण्णंति काउं एक्केण गुणिया, तत्तिया चेव, पन्नरसियाए ठवणाए पंचहिं भागे भागलद्धं तिन्नि मासा, ते दुरवहीणा कया जायं एक्को मासो। पंचियाए वि आरोवणाए पंचहिं भागो भागलद्धं एक्को मासो, एत्थ नत्थि दुरूवहीणं तहा वि एत्थ मासो चेव घेप्पति, एए दो वि ठवणारोवणामासा बत्तीसाए मेलिया जाया चोत्तीसं मासा । इच्छामो नाउ कत्तो कि गहियं ?, बत्तीसाए मासेहं पंच पंच राइंदिया गहिया, ठवणारोवणमासेहिंतो ठवणारोवणदिवसा गहिया । कः प्रत्ययः ?, बत्तीसमासा पंचहिं गुणिया काउं ठवणारोवणादिवसा पक्खित्ता असीयं सतं भवति । एक्कं वा ठवमामासं फेडित्ता तेत्तीस पंचगुणा कायव्वा, ठवणादिवसजुत्ता य छम्मासा भवंति ॥
[भा. ६४५० ] पढमा ठवणा पक्खो, बितिया आरोवणा भवे दस ऊ । अट्ठारसहिं मासेहिं, पंच य राइंदिया झोसो ॥
चू- असीयातो सयाओ एयाओ ठवणारोवणाओ सोहेत्ता सेसे पंच झोसे पक्खिवित्ता दसियाए आरोवणाए भागो भागलद्धं सोलस मासा, आरोवणा एक्कातो मासातो निष्फण्ण त्ति काउं एक्केण गुणियं जाता सोलस चेव, पन्नरसियाए ठवणाए पंचहिं भागो भागलद्धं तिन्नि दुरूवहीणा कया जातो एक्को मासो, दसियाए आरोवणाए पंचहिं भागो भागलद्धं दोन्नि, जत्थ दुरूवहीणं न होइ आगासं वा भवति तत्थ वि एक्को मासो नायव्वो, तेन एत्थ वि एक्को मासो, एते दो वि ठवणारोवणामासा सोलसण्हं मेलिता जाता अट्ठारस संचयमासा ।
कतो मासाओ किंगहियं ?, अट्ठारसण्हं मासाणं सोलसहिं मासेहिंतो दस दस राइंदिया गहिया, ठवणारणमासेहिंतो ठवणा दिवसा गहिता । कः प्रत्ययः ?, सोलस मासा दस गुणा काउं, पंच उ झोसो सोहियव्वो, सेसा ठवणारोवणदिवसा पक्खित्ता जायं असीयं सयं । अहवाअट्ठारसण्हं एक्कं वा ठवणामासं फेडेत्ता दसगुणा कायव्वा, जोसो पंच सोहियव्वो, ठवणादिनसहिता छम्मासा हवंति ॥
[ भा. ६४५१] पढमा ठवणा पक्खो, ततिया आरोवणा भवे पक्खो । बारसहिं मासेहिं, एसा बितिया भवे कसिणा ।।
चू- असीतातो तातो एयाओ ठवणा सोहेत्ता सेसं पन्नासं सयं, एयस्स पन्नरसियाए आरोवणाए भागो भागलद्धं दस मासा, आरोवणा एक्काओ मासाओ निप्फण्ण त्ति एक्केण गुणियं एत्तियं चेव, एत्थ दोन्नि ठेवणारोवणमासा पक्खित्ता जाता बारस मासा । कतो किं गहियं ?, एक्केक्काओ मासाओ पक्खो गहिओ । कः प्रत्यय ?, बारस मासा पन्नरसहिं गुणिय जातं असीयं सतं, एत्थ सव्वत्थ समं गहणं ॥ [ भा. ६४५२ ]
एवं एता गमिया, गाहाओ होंति आनुपुव्वीए । एएण कमेण भवे, पंचेव सया उ एगट्ठा ॥
चू- एवं पक्खियं ठवणं अमुयंतेण आरोवणाए उवरुवरिं पंच पंच पक्खिविंतेण आरोवणासु एक्क्कं ठाणं परिहरितेण ताव नेयव्वं जाव तित्तीसतिमा आरोवण त्ति । ताहे वीसियं ठवणं अमुतेण एवं चेव नेयव्वं जाव बत्तीसइमा आरोवणा । एवं ठवणासु पंच पंच पक्खिवंतेणं
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