Book Title: Agam Suttani Satikam Part 17 Nishitha
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 392
________________ उद्देशक : २०, मूलं-१३८१, [भा. ६४७४] ३८९ [भा.६४७४] सव्वासिं ठवणाणं, उक्कोसारोवणा भवे कसिणा। सेसा चत्ता कसिणा, ताखलु नियमा अनुक्कोसा।। चू- पढमे ठवणारोवणठाणे तीसं ठाणाणि, तत्थ एक्केक्काए ठवणाए अंतिल्ला आरोवणा उक्कोसिता भवति, साय नियमाझोसविरहिया, एयाओतीसं, एतासिं मज्झा जातो आरोवणाओ झोसविरहिताओ ताओ चत्तालीसं भवंति, एया उक्कोसियाण मेलिताओ सत्तरि भवंति ।। कतराओ पुण ताओ चत्तालीसं झोसविरहिताओ? उच्यते[भा.६४७५] वीसाए तू वीसं, चत्तमसीती य तिन्नि कसिणाओ। तीसाए पक्खपणवीस तीस पन्नास पणसतरी। चू-वीसियाए ठवणाए वीसिया आरोवणा चत्तालीसिया असीता, एयाओ तिन्नि कसिणातो। तीसियाते ठवणाए इमातो पंच आरोवणातो अज्झोसियातो पक्खिता पणवीसिता तीसिता पन्नासिया पंचसत्तरीया॥ [भा.६४७६] चत्ताए वीस पणतीस सत्तरी चेव तिन्नि कसिणाओ। पणतालाए पक्खो, पणताला चेव दो कसिणा ।। [भा.६४७७] पन्नाए पन्नट्ठी, पणपन्नाए तु पन्नवीसा तु । राठ्ठिठवणाए पक्खो, वीसा तीसा य चत्ता य॥ चू-चत्तालीसियाए ठवणाए इमाते तिन्नि आरोवणाओ कसिणातो - वीसिता पणतीसिया सत्तरिया ।पणयालीसठ्ठवणाए इमाओदोन्नि आरोवणाकसिणातोपक्खितापणयालायआरोवणा कसिणा (पणपन्नाए ठवणाए इमाते तिन्नि आरोवणाओ कसिणाओ - पन्नवीसा, पणपन्ना पणट्ठी ।) सटिक्किताते ठवणाते इमा चत्तारि आरोवणा कसिणा - पक्खिया वीसिया तीसिया चत्तालीसिया य॥ [भा.६४७८] सयरीए पणपन्ना, तत्तो पनसत्तरी य पन्नरसा। पनतीस असितीए, वीसा पनुवीस पन्ना य ।। चू-सत्तरीए ठवणाए एक्का पणपन्निया आरोवणा कसिणा । पणपन्नसत्तरियाए ठवणाए दो आरोवणा कसिणातो - पक्खिता पणतीसिया य । असीतिक्कियाए ठवणाए इमाओ तिन्नि आरोवणाओ कसिणाओ - वीसिया पणुवीसिया पन्नासिया य॥ [भा.६४७९] नउतीए पक्ख तीसा, पणताला चेव तिन्नि कसिणाओ। सतियाए वीस चत्ता, पंचुत्तर पक्ख पणुवीसा ।। [भा.६४८०] दस उत्तर सतियाए पणतीसा वीस उत्तरे पक्खो। वीसा तीसा य तहा, कसिणाओ तिन्नि वीसऽहिए। चू-नउतियाए ठवणाए तिन्नि आरोवणा कसिणा-पक्खिया तीसिया पणयालीसिया य । सतियाए ठवणाए दोन्नि आरोवणा कसिणा-वीसया चत्तालीसिया य। पंचुत्तरसतियाए ठवणाए दोन्नि आरोवणा कसिणा - पक्खिया पणुवीसिया य ।। दसुत्तरगाहा दसुत्तरसतियाए ठवणाए एक्का पणतीसिया आरोवणा कसिणा। वीसुत्तरसतिया ठवणाए तिन्नि आरोवणा (कसिणा) पक्खिया वीसिया तीसिया॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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