Book Title: Agam 38 Chhed 05 Jitkalpa Sutra
Author(s): Jinbhadragani Kshamashraman, Punyavijay
Publisher: Babalchand Keshavlal Modi

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Page 19
________________ सूत्र गाथा ९४ तीर्थकर प्रवचन श्रुत आचार्य आदिविषयक आशातना पारांचिकनुं स्वरूप २४६३-७६ २११ सूत्र गाथा ९५ कषायदुष्ट अने विषयदुष्ट पारांचिकन स्वरूप २४७७-२५२२ २१३ सूत्र गाथा ९६ स्त्यानद्धिप्रमत्तपारांचिक, अन्योन्यकुर्वाणपारांचिकनुं स्वरूप २५२३-३९ २१६ सूत्र गाथा ९७-१०१ लिंगपारांचिक, क्षेत्रपारांचिक, कालपारांचिक आदिनुं स्वरूप २२४०-८५ सूत्र गाथा १०२ अनवस्थाप्य अने पारांचिकनो सद्भाव भद्रबाहु सुधी २५८६-८७ २२२ सूत्र गाथा १०३ जीतकल्पनो उपसंहार २५८८-२६०६ जीतशब्दनो अर्थ २५८८-८९ રરરૂ कल्पशब्दनो अर्थ २५९०-९३ २२३ जीतकल्पशास्त्रना अध्ययनना अधिकारी २५९४-२६०६ ।। રરરૂ २२३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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